दक्षिण एशिया पर मंडरा रहा परमाणु खतरा: भारत-पाक तनाव ने बढ़ाई चिंता, पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार

भारत-पाक तनाव के बीच एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान के पास वर्तमान में करीब 170 परमाणु हथियार हैं। बुलेटिन ऑफ एटमिक साइंटिस्ट की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान यूरेनियम संवर्धन और नई तकनीकों के जरिए अपने परमाणु शस्त्रागार को और खतरनाक बना रहा है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 5 September 2025, 7:57 AM IST
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New Delhi: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के महीनों में तनाव बढ़ता जा रहा है, विशेषकर जब से भारत ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। अब पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सामने आई है, जो यह संकेत देती है कि पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार अभी भी मजबूत हो रहा है। बुलेटिन ऑफ एटमिक साइंटिस्ट द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की संख्या और उनके विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

पाकिस्तान के पास वर्तमान में 170 परमाणु हथियार

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पास मौजूदा समय में लगभग 170 परमाणु हथियार हैं। हालांकि, 2023 से इनकी संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है। यह संख्या अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी के 1999 के अनुमान से कहीं अधिक है, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान के पास 2020 तक 60 से 80 परमाणु वॉरहेड हो सकते हैं। इस अनुमान के बाद पाकिस्तान ने अपनी परमाणु क्षमता में कई नए हथियारों का विकास किया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान का शस्त्रागार अब पहले से ज्यादा प्रभावशाली और विस्तृत हो चुका है।

भारत-पाक तनाव ने बढ़ाई चिंता

यूरेनियम संवर्धन और प्लूटोनियम पर पाकिस्तान का काम

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों के लिए यूरेनियम संवर्धन पर ध्यान दे रहा है। पाकिस्तान के पास वर्तमान में चार प्लूटोनियम प्रोडक्शन रिएक्टर हैं, और वह बड़े पैमाने पर यूरेनियम संवर्धन इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने पर काम कर रहा है। यह न केवल पाकिस्तान की परमाणु क्षमता को और मजबूत कर रहा है, बल्कि आने वाले वर्षों में पाकिस्तान के पास और अधिक परमाणु हथियार हो सकते हैं।

भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का संबंध

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम भारत से गहरे तौर पर जुड़ा हुआ है। यदि भारत अपने परमाणु हथियारों की संख्या में वृद्धि करता है, तो पाकिस्तान भी अपनी परमाणु शक्ति को और बढ़ाने के लिए कदम उठाएगा। हालांकि, अगर भारत अपने परमाणु शस्त्रागार को स्थिर रखने का निर्णय लेता है, तो पाकिस्तान भी अपने कार्यक्रम को स्थिर कर सकता है। इस पर पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह बात साफ है कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम हमेशा भारत के विकास से प्रभावित होता है।

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पाकिस्तान की साजिशें और तनाव की स्थिति

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण यह भी है कि पाकिस्तान हमेशा भारत के खिलाफ कुछ न कुछ साजिश करता रहता है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी, जिसमें सौ से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे। पाकिस्तान ने इसके जवाब में भारतीय शहरों पर हमले की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की साजिशों को नाकाम कर दिया। इस ऑपरेशन और उसके बाद की घटनाओं से दोनों देशों के बीच स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई है।

पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की विकास प्रक्रिया

पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार न केवल यूरेनियम संवर्धन पर निर्भर है, बल्कि वह अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रहा है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि पाकिस्तान परमाणु वॉरहेड्स को अधिक पोर्टेबल और सटीक बनाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहा है। इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान का परमाणु शस्त्रागार अब और भी खतरनाक और प्रभावशाली हो सकता है।

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भारत का परमाणु कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

भारत का परमाणु कार्यक्रम भी दुनिया भर में ध्यान आकर्षित करता है, और पाकिस्तान का कार्यक्रम इस पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालता है। भारत ने हमेशा अपने परमाणु शस्त्रागार को रक्षा और संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से बढ़ाया है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार सुरक्षा खतरे और परमाणु क्षमता में वृद्धि भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत और पाकिस्तान के बीच के इस परमाणु संतुलन ने दक्षिण एशिया में एक स्थिरता बनाई हुई है, लेकिन यह तनावपूर्ण स्थिति कभी भी खुलकर युद्ध का रूप ले सकती है।

भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव

ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और भी बढ़ गया है। पाकिस्तान के साथ युद्ध की आशंका हमेशा बनी रहती है, और यह परमाणु हथियारों के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर दोनों देशों के परमाणु शस्त्रागार में वृद्धि होती है, तो यह न केवल दक्षिण एशिया, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हो सकता है।

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