

इजराइल और ईरान के बीच जारी तनावपूर्ण हालात और लगातार हो रहे सैन्य हमलों के मद्देनजर भारत सरकार ने तत्काल भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए 24×7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है।
इजराइल-ईरान युद्ध (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: इजराइल और ईरान के बीच जारी तनावपूर्ण हालात और लगातार हो रहे सैन्य हमलों के मद्देनजर भारत सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए दोनों देशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए 24x7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने यह कदम दोनों देशों में बड़ी संख्या में मौजूद भारतीयों, विशेषकर छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा हालात को देखते हुए भारत सरकार हर एक भारतीय नागरिक की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसी के तहत नियंत्रण कक्ष के साथ-साथ तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने भी आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, ताकि संकट की घड़ी में किसी भी भारतीय को तत्काल सहायता प्रदान की जा सके।
नियंत्रण कक्ष का विवरण
टोल फ्री नंबर: 1800118797
अन्य नंबर: +91-11-23012113, +91-11-23014104, +91-11-23017905
व्हाट्सएप हेल्पलाइन: +91-9968291988
ईमेल आईडी: situationroom@mea.gov.in
तेहरान स्थित भारतीय दूतावास की हेल्पलाइन
सिर्फ कॉल के लिए: +98 9128109115, +98 9128109109
व्हाट्सएप पर संपर्क के लिए: +98 901044557, +98 9015993320, +91 8086871709
बंदर अब्बास: +98 9177699036
ज़ाहेदान: +98 9396356649
ईमेल आईडी: cons.tehran@mea.gov.in
ईरान में फंसे भारतीय छात्रों की अपील
ईरान में वर्तमान में लगभग 1,300 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। लगातार हो रहे हमलों और बिगड़ते हालात के चलते छात्रों ने भारत सरकार से जल्द से जल्द उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की मांग की है। छात्रों का कहना है कि वे डरे हुए हैं और जल्द से जल्द भारत लौटना चाहते हैं।
हमलों में अब तक 240 से अधिक की मौत
ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजराइल द्वारा किए गए हवाई हमलों में अब तक 244 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें लगभग 70 महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। साथ ही, करीब 1,277 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। यह भी बताया गया है कि लगभग 90% मृतक आम नागरिक हैं। कई रिहायशी इलाकों पर भी हमले हुए हैं, जिनमें चमरान आवासीय परिसर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां अभी भी कई बच्चे मलबे में दबे हुए हैं।