

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए आने वाले विदेशी छात्रों के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध पर अब संघीय अदालत ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए आने वाले विदेशी छात्रों के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंध पर अब संघीय अदालत ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। इस फैसले को शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, यह मामला तब सामने आया जब ट्रंप प्रशासन ने एक नया आदेश जारी कर विदेशी छात्रों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, खासकर उन छात्रों के लिए जो अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने जा रहे थे। इस आदेश के मुताबिक अगर कोई विदेशी छात्र ऑनलाइन मोड में पढ़ाई कर रहा है तो वह अमेरिका में रहकर अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सकता। इस फैसले ने हार्वर्ड समेत कई अन्य शिक्षण संस्थानों और छात्रों में चिंता की लहर पैदा कर दी थी।
ट्रंप का आदेश खारिज
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने तुरंत इस फैसले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की और संघीय अदालत में याचिका दायर की। यूनिवर्सिटी ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को "अवैध प्रतिशोध" करार दिया था और इसे खारिज करने की मांग की थी। हार्वर्ड ने कहा कि इस आदेश से न केवल यूनिवर्सिटी के अकादमिक ढांचे को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि इसका वैश्विक छात्र समुदाय भी प्रभावित होगा, जो यूनिवर्सिटी के शोध और अकादमिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
शिक्षा मॉडल पर सीधा हमला
हार्वर्ड की याचिका में यह भी कहा गया है कि यह कदम राष्ट्रपति द्वारा पिछले न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने तथा शिक्षण संस्थानों पर दबाव बनाने का प्रयास है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह आदेश हार्वर्ड की स्वायत्तता तथा उसके शिक्षा मॉडल पर व्हाइट हाउस द्वारा सीधा हमला है। ट्रंप प्रशासन के आदेश पर अस्थायी रोक संघीय न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए ट्रंप प्रशासन के आदेश पर तत्काल प्रभाव से अस्थायी रोक लगा दी है।
ऐसी नीतियों का छात्रों प्रभाव पड़ सकता है
न्यायालय ने कहा कि ऐसी नीतियों का छात्रों की शिक्षा तथा भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है तथा यह आदेश प्रथम दृष्टया अनुचित तथा एकतरफा प्रतीत होता है। इस निर्णय का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वागत किया गया है। भारत, चीन तथा कई अन्य देशों के छात्र हर वर्ष बड़ी संख्या में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लेते हैं तथा यदि यह आदेश लागू होता तो हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय ने स्पष्ट संकेत दिया है कि न्यायपालिका शिक्षण संस्थानों की स्वतंत्रता तथा छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है। हार्वर्ड के प्रवक्ताओं ने न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि यह निर्णय न केवल हार्वर्ड के लिए बल्कि अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले दुनिया भर के छात्रों के लिए आशा की किरण है।
हालांकि यह केवल एक अस्थायी राहत है, लेकिन हार्वर्ड विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को उम्मीद है कि न्यायालय में अंतिम सुनवाई में इस आदेश को रद्द कर दिया जाएगा और छात्रों को बिना किसी रुकावट के अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।