

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज की। भक्तपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने वर्तमान सरकार को ‘Gen-Z सरकार’ करार दिया और इस आंदोलन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (सोर्स- इंटरनेट)
Kathmandu: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा देने के बाद शनिवार को भक्तपुर में पार्टी के छात्र संगठन राष्ट्रीय युवा संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यह उनका पहला सार्वजनिक मंच था, जहां उन्होंने मौजूदा सरकार पर तीखा हमला किया। ओली ने वर्तमान सरकार को 'Gen-Z सरकार' करार दिया और कहा कि यह सरकार न तो संवैधानिक प्रावधानों के तहत बनी है और न ही यह जनता के वोटों से चुनी गई है। उनका कहना था कि यह सरकार तोड़फोड़ और आगजनी के जरिए बनी है।
ओली ने बताया कि 9 सितंबर को एक दिन पहले हुई हिंसक घटनाओं के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा, "मैंने 11 बजे सुबह इस्तीफा दे दिया क्योंकि मुझे लगा कि अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है और स्थिति को और नहीं बढ़ाना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि इस्तीफे के बाद आगजनी, तोड़फोड़ और लूटपाट जैसी घटनाएं शुरू हो गईं। यह घटनाएं इस बात का संकेत थीं कि नेपाल में व्यापक विरोध और असंतोष पैदा हो गया था।
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नेपाल में जारी "Gen-Z आंदोलन" ने एक नई राजनीतिक क्रांति की शक्ल ले ली है। यह आंदोलन विशेष रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ और सामाजिक न्याय की मांग को लेकर शुरू हुआ था। इस आंदोलन को अब "जनरेशन-ज़ेड क्रांति" कहा जा रहा है, जो 2006 के जन आंदोलन के समान ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उस समय की क्रांति ने नेपाल को गणराज्य में बदल दिया था, और अब यह आंदोलन नेपाल की राजनीति को बदलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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इस आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में अब तक 74 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। प्रदर्शनकारियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, और काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं। 21 सितंबर को 21 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश छात्र थे। अगले दिन 39 और मौतें हुईं, और कुछ गंभीर रूप से जलने से मारे गए। ये घटनाएं आंदोलन के तीव्रता को और बढ़ाती गईं और इसने नेपाल की राजनीति को एक नया मोड़ दिया।
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केपी शर्मा ओली की वापसी को राजनीतिक विश्लेषक उनकी प्रासंगिकता बनाए रखने की कोशिश मानते हैं। वे मानते हैं कि ओली का सार्वजनिक रूप से सामने आना और जनसंख्या के साथ जुड़ने की कोशिश उनकी राजनीतिक पहचान को मजबूत करने का एक तरीका हो सकता है। वहीं, नेपाल में विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार के खिलाफ माहौल और भी गर्म होता जा रहा है।