US Dollar Fall: इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर में भारी गिरावट, जानें क्या है वजह

साल 2025 में अमेरिकी डॉलर में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की जा रही है। 1973 के बाद यह पहली बार है जब डॉलर इतने बड़े स्तर पर कमजोर हुआ है। इसका असर न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बल्कि वैश्विक निवेश पर भी दिखाई दे रहा है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 3 July 2025, 7:15 PM IST
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New Delhi: अमेरिकी डॉलर इस साल अपनी ऐतिहासिक गिरावट का सामना कर रहा है। 1973 के बाद पहली बार डॉलर में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, जिसने वैश्विक बाजार को चौंका दिया है। फिलहाल भारतीय रुपये के मुकाबले एक डॉलर की कीमत 85 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि 20 जून को यह 86.60 रुपये पर थी। इस वर्ष की शुरुआत से अब तक डॉलर विभिन्न प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत तक कमजोर हो चुका है।

वैश्विक निवेश बाजार में अस्थिरता का माहौल

डॉलर की यह गिरावट न केवल अमेरिका के निवेशकों को चिंता में डाल रही है, बल्कि वैश्विक निवेश बाजार में भी अस्थिरता का माहौल बना रही है। अमेरिकी मुद्रा, जिसे दशकों से दुनिया की सबसे सुरक्षित करेंसी माना जाता रहा है, आज विश्वास के संकट से जूझ रही है। कई निवेशक अब अमेरिकी डॉलर से अपना निवेश निकालने पर विचार कर रहे हैं ताकि भविष्य में बाजार में गिरावट आने पर संभावित नुकसान से बचा जा सके।

डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी

इस स्थिति के पीछे अमेरिका की व्यापार नीति को जिम्मेदार माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी के कारण अमेरिका को चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों से आयात महंगा पड़ा है। टैरिफ में बढ़ोतरी की वजह से अमेरिकी उपभोक्ताओं को विदेशी सामान अधिक कीमतों पर खरीदना पड़ रहा है, जिससे घरेलू महंगाई का स्तर भी ऊंचा हो गया है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई अस्थिरता

इस महंगाई ने अमेरिकी डॉलर की क्रयशक्ति को कमजोर कर दिया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई इस अस्थिरता के चलते निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में फाइनेंस के प्रोफेसर पाउलो पैस्का का कहना है कि टैरिफ में इजाफे का सबसे बड़ा नुकसान अमेरिकी बाजार को हुआ है। "न केवल निवेशकों ने पैसा निकालना शुरू कर दिया है, बल्कि अमेरिकी बाजार की स्थिरता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं," उन्होंने कहा।

इन वजह से डॉलर नीचे गिरा

अमेरिकी उत्पादों की कीमतों में तेज वृद्धि, विदेशी सामान का महंगा होना और घरेलू मांग में गिरावट इन सभी कारकों ने मिलकर डॉलर को नीचे गिरा दिया है। महंगाई में बेतहाशा बढ़ोतरी का डर अब अमेरिकी जनता को सता रहा है। यदि महंगाई इसी तरह बढ़ती रही तो देश की आर्थिक विकास दर (GDP ग्रोथ) भी प्रभावित हो सकती है।

इस समय अमेरिकी प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को नियंत्रण में लाना और बाजार में भरोसा बहाल करना है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो डॉलर की यह गिरावट वैश्विक मंदी का कारण भी बन सकती है।

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