

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में जानिए क्यों लिया गया ये फैसला
डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर विवादित लेकिन कड़ा फैसला लेते हुए 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा सात अन्य देशों के नागरिकों पर भी कड़ी शर्तें और प्रतिबंधात्मक नियम लागू किए गए हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए यह फैसला जरूरी है।
यह नया यात्रा प्रतिबंध उस आदेश की पुनरावृत्ति जैसा है, जिसे ट्रंप ने 2017 में अपने राष्ट्रपति पद के शुरुआती दिनों में लागू किया था। हालांकि, उस समय भी इसका व्यापक विरोध हुआ था और कानूनी चुनौतियां भी आई थीं।
कौन से देशों पर प्रतिबंध है?
ट्रंप के नए आदेश के मुताबिक, जिन 12 देशों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें ज्यादातर मुस्लिम बहुल देश शामिल हैं:
अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन।
इनके अलावा बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला के नागरिकों पर भी कड़ी निगरानी और सख्त वीजा शर्तें लगाई गई हैं।
ट्रंप का तर्क
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "मेरा पहला कर्तव्य अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन देशों के नागरिकों के प्रवेश को प्रतिबंधित करना आवश्यक है, जिनकी सरकारें अमेरिका के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं या आतंकवाद को बढ़ावा देने में शामिल हैं।"
ट्रंप ने कहा कि 20 जनवरी को उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी, विदेश विभाग और खुफिया एजेंसियों को एक रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया था, ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि कौन से देश अमेरिका के लिए खतरा बन सकते हैं।
नया आदेश पुराने फैसले की याद दिलाता है
गौरतलब है कि 2017 में सत्ता संभालने के कुछ ही दिनों बाद ट्रंप ने इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन के नागरिकों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय इसे "मुस्लिम प्रतिबंध" के रूप में आलोचना की गई थी। बाद में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ संशोधित आदेश को मंजूरी दे दी थी।
"मुस्लिम प्रतिबंध" पर विवाद जारी
हालाँकि ट्रंप प्रशासन इस नए आदेश को "मुस्लिम प्रतिबंध" कहने से इनकार कर रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रतिबंधित किए गए ज़्यादातर देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी है। आलोचकों का कहना है कि यह फ़ैसला धार्मिक भेदभाव और पूर्वाग्रह से प्रेरित है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और विरोध
डेमोक्रेटिक पार्टी समेत कई मानवाधिकार संगठनों ने इस फ़ैसले की आलोचना की है और इसे अमेरिकी मूल्यों के ख़िलाफ़ बताया है। इस फ़ैसले को लेकर अमेरिका में बसे मुस्लिम समुदायों में नाराज़गी है।