

चीन ने चौथे विमानवाहक पोत का निर्माण शुरू कर दिया है, जो लियाओनिंग प्रांत के डालियान शहर में बन रहा है। तीसरा पोत “फुजियान” समुद्री परीक्षण पास कर नौसेना में शामिल होने वाला है। परमाणु ऊर्जा और टेक्नोलॉजी के दम पर चुनौती दे रहा है।
फुजियान
Beijing: बीजिंग से आई रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपना चौथा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है, जो कि उसकी नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा। यह पोत लियाओनिंग प्रांत के डालियान शहर स्थित शिपयार्ड में निर्माणाधीन है। सैटेलाइट तस्वीरों में इसके ढांचे की पुष्टि हो चुकी है। यह घटनाक्रम उस समय हो रहा है जब चीन का तीसरा और अब तक का सबसे आधुनिक विमानवाहक पोत "फुजियान" नौसेना में शामिल होने के करीब है।
चीन ने भले ही विमानवाहक पोत बनाने की शुरुआत देर से की हो, लेकिन उसने तेजी से इस दिशा में प्रगति की है। वर्तमान में चीन के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं।
1. लियाओनिंग- 2012 में कमीशन हुआ था। यह सोवियत काल के पोत का उन्नत रूप है।
2. शानडोंग- चीन का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, जिसे 2019 में सेवा में लाया गया।
फुजियान
फुजियान को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है। इसमें EMALS (Electromagnetic Aircraft Launch System) तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जो अमेरिकी विमानवाहक USS Gerald R. Ford में भी प्रयुक्त होती है। इस पोत पर जे-15टी, जे-35 और कोंगजिंग-600 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों के टेकऑफ और लैंडिंग के परीक्षण पूरे हो चुके हैं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चौथा विमानवाहक पोत परमाणु ऊर्जा से संचालित हो सकता है। यह चीन की सैन्य रणनीति में एक बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि परमाणु ऊर्जा से चलने वाले पोत लंबे समय तक समुद्र में रह सकते हैं और ज्यादा ऊर्जा की मांग पूरी कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपनी नौसेना को इसलिए मजबूत कर रहा है ताकि वह अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ समुद्री शक्ति का संतुलन बना सके। दक्षिण चीन सागर और ताइवान स्ट्रेट जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन की सैन्य मौजूदगी को सशक्त करने के लिए ऐसे एयरक्राफ्ट कैरियर अहम भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, वैश्विक समुद्री मार्गों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश भी इस रणनीति के पीछे है।
अमेरिका के पास वर्तमान में 11 सक्रिय विमानवाहक पोत हैं, जबकि चीन अभी तक 2 को सेवा में ला पाया है। लेकिन जिस रफ्तार से चीन आगे बढ़ रहा है, वह अगले एक दशक में अमेरिका के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है। EMALS और परमाणु ऊर्जा जैसी तकनीकों का उपयोग चीन को तकनीकी रूप से भी अमेरिका के करीब ला रहा है।
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मिलिट्री एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन चौथे पोत के बाद और विमानवाहक कैरियर बना सकता है। चीन की महत्वाकांक्षी योजनाओं में अपनी नौसेना को 2030 तक अमेरिका की बराबरी पर लाना शामिल है। इसके लिए न केवल आधुनिक तकनीक की जरूरत होगी, बल्कि रणनीतिक साझेदारियों और लॉजिस्टिक नेटवर्क का भी विस्तार करना होगा।