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बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोकामा में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। 30 अक्टूबर को मोकामा के तारतार गांव में जन सुराज पार्टी और जेडीयू समर्थकों के बीच चुनाव प्रचार के दौरान हुई हिंसक झड़प ने बड़ा रूप ले लिया।
मोकामा में एनडीए की मुश्किलें बढ़ीं
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोकामा में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। 30 अक्टूबर को मोकामा के तारतार गांव में जन सुराज पार्टी और जेडीयू समर्थकों के बीच चुनाव प्रचार के दौरान हुई हिंसक झड़प ने बड़ा रूप ले लिया। इस झड़प में जन सुराज समर्थक और पूर्व आरजेडी नेता दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि कई अन्य लोग घायल हुए। इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें भीड़ के बीच गोलीबारी और भगदड़ देखी जा सकती है।
इस मामले में जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह को पटना पुलिस ने शनिवार देर रात उनके बाढ़ स्थित आवास से गिरफ्तार किया। पुलिस ने अनंत सिंह पर हत्या सहित कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है।
पुलिस के मुताबिक, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान, सबूत और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है। अनंत सिंह के साथ उनके दो सहयोगियों को भी हिरासत में लिया गया है।
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घटना की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग ने तत्काल एक्शन लेते हुए कई प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला भी कर दिया। अनंत सिंह की गिरफ्तारी मोकामा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल सकती है, जहां 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है।
गिरफ्तारी से पहले अनंत सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया था। उन्होंने कहा था—"हम लोग टोल पर वोट मांग रहे थे। वहां कुछ गाड़ियां खड़ी थीं। तभी मुर्दाबाद के नारे लगे और पत्थरबाजी शुरू हो गई। सड़क पर ईंट-पत्थर पहले से रखे थे, पूरी तैयारी की गई थी। यह सब सूरजभान का खेल है।" अनंत सिंह ने दावा किया कि दुलारचंद यादव सूरजभान के करीबी थे और वही इस साजिश के पीछे हैं।
सूरजभान सिंह, जिन्हें लोग “दादा” के नाम से जानते हैं, मोकामा क्षेत्र के प्रमुख बाहुबली नेता माने जाते हैं। वे भूमिहार समुदाय से आते हैं और लंबे समय तक अपराध की दुनिया से जुड़े रहने के बाद राजनीति में सक्रिय हुए। सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी इस बार आरजेडी से मोकामा सीट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि सूरजभान खुद पर्दे के पीछे रहकर चुनावी रणनीति संभालते हैं।
मोकामा की इस घटना ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जन सुराज पार्टी के समर्थकों में गुस्सा है, जबकि जेडीयू इसे विपक्ष की साजिश बता रही है। अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग और प्रशासन की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं, क्योंकि यह मामला चुनाव से ठीक पहले हत्या और हिंसा के कारण राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील हो गया है।