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Bihar Assembly Elections 2025: वोटिंग से पहले क्यों हुई मॉक पोलिंग? जानिए कैसे परखी जाती है EVM की विश्वसनीयता

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग से पहले सभी पोलिंग बूथों पर मॉक पोलिंग कराई गई। इसमें EVM और VVPAT मशीनों की सटीकता पोलिंग एजेंटों की मौजूदगी में जांची जाती है। मॉक पोलिंग का उद्देश्य मतदान प्रक्रिया को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाना है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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Bihar Assembly Elections 2025: वोटिंग से पहले क्यों हुई मॉक पोलिंग? जानिए कैसे परखी जाती है EVM की विश्वसनीयता

Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग से पहले सभी पोलिंग बूथों पर मॉक पोलिंग (सत्यापन प्रक्रिया) कराई गई। इसका उद्देश्य मतदान प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और VVPAT (मतदाता सत्यापन पर्ची) सही ढंग से काम कर रही हैं।

चुनाव से पहले की जाती है मॉक पोलिंग

मॉक पोलिंग की प्रक्रिया मतदान शुरू होने से एक से डेढ़ घंटा पहले की जाती है। इस दौरान चुनावी अधिकारी, रिटर्निंग ऑफिसर और सभी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट पोलिंग बूथ पर मौजूद रहते हैं। बिहार के पहले चरण में आज 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान हो रहा है।

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क्या है मॉक पोलिंग?

मॉक पोलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें वोटिंग शुरू होने से पहले पोलिंग एजेंटों की मौजूदगी में EVM मशीन की जांच की जाती है। इसमें सभी उम्मीदवारों के चुनाव चिन्हों के सामने वाले बटन दबाकर परीक्षण वोट डाले जाते हैं ताकि यह देखा जा सके कि मशीन के सभी बटन सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं।

जब किसी उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के सामने वाला बटन दबाया जाता है, तो मशीन में बीप की आवाज आती है और संबंधित बटन के सामने की लाइट जल उठती है। इसके साथ ही, VVPAT मशीन से एक पर्ची निकलती है जिसमें उस उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह दिखाई देता है।

क्यों जरूरी है मॉक पोलिंग?

मॉक पोलिंग चुनाव प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका उद्देश्य मतदान में किसी तकनीकी त्रुटि या छेड़छाड़ की संभावना को खत्म करना है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाता है कि EVM और VVPAT मशीनें पूरी तरह सही हैं और प्रत्येक वोट सही उम्मीदवार के खाते में जा रहा है।

मॉक पोलिंग पूरी होने के बाद पोलिंग एजेंट और चुनाव अधिकारी EVM पर सील लगाते हैं। सभी उम्मीदवारों के एजेंट को यह दिखाया जाता है कि मशीन सील कर दी गई है और उसके बाद कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है। इसके बाद ही सुबह 7 बजे से वास्तविक मतदान शुरू किया जाता है।

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बिहार में पहले चरण की वोटिंग

बिहार के पहले चरण में 3 करोड़ से ज्यादा मतदाता 1314 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर रहे हैं। इनमें कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है। राघोपुर सीट से राजद नेता तेजस्वी यादव, तारापुर से उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और लखीसराय से विजय सिन्हा जैसे प्रमुख चेहरे मैदान में हैं। राजनीतिक गलियारों में पहले चरण की वोटिंग को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे आगे के चरणों के लिए मतदाताओं का रुझान तय होगा।

चुनाव आयोग की सख्त निगरानी

चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाए रखने के लिए सभी बूथों पर वेबकास्टिंग, सीसीटीवी मॉनिटरिंग और सुरक्षा बलों की तैनाती की है। साथ ही, मॉक पोलिंग की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई ताकि पारदर्शिता पर कोई सवाल न उठे।

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