Bihar Election: करगहर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार, फिर सुर्खियों में सासाराम की यह विधानसभा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच करगहर विधानसभा सीट एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं में है। पूरी तरह ग्रामीण इलाका होने के बावजूद यह सीट हर चुनाव में सत्ता समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभाती रही है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 2 November 2025, 2:13 PM IST
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Sasaram: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच करगहर विधानसभा सीट एक बार फिर राजनीतिक चर्चाओं में है। पूरी तरह ग्रामीण इलाका होने के बावजूद यह सीट हर चुनाव में सत्ता समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभाती रही है। यह क्षेत्र सासाराम अनुमंडल के अंतर्गत आता है और कुल 257 गांवों से मिलकर बना है। यहां की अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन अब भी कृषि पर आधारित है।

उम्मीदवारों की टक्कर, मुकाबला त्रिकोणीय

इस बार करगहर सीट से जेडीयू के बशिष्ठ सिंह, कांग्रेस के संतोष मिश्रा और जन सुराज पार्टी के रितेश रंजन पांडेय के बीच मुकाबला होने जा रहा है। तीनों ही उम्मीदवार अपने-अपने सामाजिक और राजनीतिक आधार पर मैदान में हैं, जिससे यह चुनाव त्रिकोणीय और रोचक बन गया है।

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करगहर का इतिहास

करगहर की राजनीतिक पहचान लंबे समय तक सासाराम से जुड़ी रही। 2008 के परिसीमन से पहले यह सासाराम विधानसभा का हिस्सा था। इसके बाद इसे स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र का दर्जा मिला और 2010 में यहां पहला चुनाव हुआ। तब से करगहर लगातार सत्ता के समीकरणों में अपनी खास जगह बनाता रहा है।

जनसंख्या और जातिगत समीकरण

चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार करगहर की कुल आबादी 5,67,156 है। इसमें पुरुष 2,94,543 और महिलाएं 2,72,613 हैं। कुल मतदाता 3,29,466 हैं। जिनमें पुरुष 1,72,706, महिलाएं 1,56,750 और थर्ड जेंडर 10 हैं। जातिगत दृष्टि से यहां अनुसूचित जाति की आबादी 20.41%, मुस्लिम मतदाता करीब 6.4%, जबकि ओबीसी और सवर्ण वर्ग निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही मिश्रण हर बार का मुकाबला दिलचस्प बना देता है।

विकास और स्थानीय मुद्दे

करगहर की सबसे बड़ी समस्याएं हैं। शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचा। यहां उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी, स्कूलों में संसाधनों का अभाव और कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। कृषि प्रमुख पेशा है, लेकिन सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण किसान हर साल नुकसान झेलते हैं। ग्रामीण इलाकों में सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है।

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2025 के समीकरण- कौन भारी, कौन कमजोर?

इस बार करगहर में जातीय समीकरणों में हलचल है। पहले जहां राजपूत उम्मीदवारों की मौजूदगी नतीजों को प्रभावित करती थी, अब उनकी गैरमौजूदगी नए हालात पैदा कर रही है। उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान की पार्टियों का एनडीए गठबंधन में शामिल होना इस सीट को और दिलचस्प बना रहा है। राजद जहां यादव-मुस्लिम समीकरण पर भरोसा कर रहा है, वहीं जेडीयू कुर्मी-दलित वोट बैंक पर निर्भर है। भाजपा की सवर्ण पकड़ भी मजबूत है। ऐसे में करगहर की लड़ाई 2025 में एक बार फिर महागठबंधन बनाम एनडीए के बीच कांटे की टक्कर वाली साबित हो सकती है।

Location : 
  • Sasaram

Published : 
  • 2 November 2025, 2:13 PM IST