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सीतापुर पुलिस की पकड़ हुई कमजोर, पेशी पर आया कैदी चकमा देकर फरार, अब क्या होगा?

सीतापुर जिला कोर्ट परिसर में सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया जब एक कैदी, जो छेड़छाड़ के मामले में आरोपी था, पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया। हालांकि, स्थानीय लोगों ने सूझबूझ से उसे पकड़ लिया और पुलिस ने उसे फिर से हिरासत में लेकर लॉकअप में बंद कर दिया। यह घटना पुलिस सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है।
Post Published By: Asmita Patel
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सीतापुर पुलिस की पकड़ हुई कमजोर, पेशी पर आया कैदी चकमा देकर फरार, अब क्या होगा?

Sitapur: सीतापुर जिला कोर्ट परिसर में सोमवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब पेशी के लिए लाए गए एक कैदी ने पुलिस अभिरक्षा से भागने की कोशिश की। यह घटना उस समय हुई जब प्रदीप नामक कैदी को पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था। प्रदीप ने अचानक मौका पाकर पुलिसकर्मियों को चकमा दिया और भाग निकला।

कैदी का नाम और आरोप

फरार हुआ कैदी प्रदीप ग्राम इमलिया थाना सकरन का निवासी है। उसके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज है और वह कई महीनों से जेल में बंद था। सोमवार को उसे कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया, जहां सेशन कोर्ट के लॉकअप में उसे रखा गया था। लॉकअप में पहुंचते ही प्रदीप ने पुलिसकर्मियों की लापरवाही का फायदा उठाया और मौके का फायदा उठाकर भाग खड़ा हुआ।

पुलिस की पकड़ से फरार हुआ कैदी

पुलिस द्वारा प्रयास और स्थानीय लोगों की मदद

कैदी के भागने के बाद कोर्ट परिसर में तुरंत हड़कंप मच गया। पुलिसकर्मी भागते हुए प्रदीप का पीछा करने लगे, लेकिन वह गेट पार कर सड़कों की ओर भागने में सफल हो गया। इस बीच, कुछ स्थानीय लोगों ने साहस दिखाया और प्रदीप का पीछा करना शुरू किया। उन्होंने लगभग 500 मीटर की दूरी तक उसका पीछा किया और अंततः उसे पकड़ लिया। स्थानीय लोगों की सूझबूझ से कैदी को पकड़ा जा सका, जो पुलिस के लिए एक राहत की बात थी।

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कैदी का मानसिक दबाव

घटना के बाद प्रदीप ने पुलिस से बातचीत करते हुए बताया कि वह मानसिक दबाव का शिकार था। उसके परिवार ने उसे उपेक्षित किया था और वह अकेलेपन का सामना कर रहा था। इसके कारण उसे यह महसूस हुआ कि वह अपनी स्थिति से बाहर निकलने के लिए कोई न कोई कदम उठाए। प्रदीप के अनुसार, यह मानसिक दबाव ही था जिसने उसे पेशी के दौरान पुलिस से भागने का जोखिम लेने के लिए प्रेरित किया।

स्थानीय लोगों की सराहना

घटना के दौरान, स्थानीय लोगों ने जिस तरह से प्रदीप का पीछा किया और उसे पकड़ा, उसकी खूब सराहना की जा रही है। यह घटना दर्शाती है कि कभी-कभी जब सुरक्षा व्यवस्था चूक जाती है, तब स्थानीय लोग मदद के लिए आगे आते हैं। स्थानीय लोगों का यह साहस और त्वरित प्रतिक्रिया काबिल-ए-तारीफ है, क्योंकि अगर वे समय पर न पहुंचते, तो पुलिस के लिए प्रदीप को पकड़ पाना और भी मुश्किल हो सकता था।

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पुलिस सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने पुलिस सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जबकि कोर्ट परिसर में कैदियों को पेशी के दौरान कड़ी सुरक्षा दी जाती है, फिर भी एक कैदी इतनी आसानी से फरार हो सकता है, यह एक बड़ा सवाल है। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करने का संकल्प लिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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