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गोरखपुर: बारिश और तूफान ने तोड़ी किसानों की उम्मीदें, जानें क्या है पूरी खबर?

बीते चार दिनों से मोंथा तूफान के प्रभाव से हो रही लगातार बारिश और तेज हवाओं ने क्षेत्र के किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। आसमान से बरसते पानी और झोंकों से बहती हवाओं ने जहां आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है,पढिए पूरी खबर
Post Published By: Asmita Patel
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Gorakhpur: बीते चार दिनों से मोंथा तूफान के प्रभाव से हो रही लगातार बारिश और तेज हवाओं ने क्षेत्र के किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। आसमान से बरसते पानी और झोंकों से बहती हवाओं ने जहां आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं खेतों में खड़ी तैयार धान की फसलें बिछ गई हैं। अब किसानों के सामने अपनी फसल बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है।

क्या है पूरी खबर?

जानकारी के मुताबिक,  गोला क्षेत्र में सोमवार से शुरू हुई वर्षा शुक्रवार तक जारी रही। गुरुवार को तेज हवाओं और भारी वर्षा ने मौसम को सर्द बना दिया, लेकिन किसानों के चेहरों पर मायूसी की रेखाएं गहरा गईं। क्षेत्र के रानीपुर बनकटा, सुरदापार, सेमरी, सुअरज, दीपगढ़, भर्रोह, नरहन सहित दर्जनों गांवों में खेतों में तैयार धान की फसलें पानी और हवा के प्रकोप से धराशायी हो गई हैं। जिन फसलों की कटाई की तैयारी चल रही थी, वे अब कीचड़ और पानी में समा चुकी हैं।

फसल का बड़ा हिस्सा खेत में ही सड़ने का खतरा

किसानों का कहना है कि धान की फसल गिर जाने से मशीन द्वारा हार्वेस्टिंग कर पाना लगभग असंभव हो गया है। खेतों में पानी भरने से ट्रैक्टर और हार्वेस्टर मशीनें धंस जा रही हैं। ऐसे में कटाई का खर्च बढ़ने के साथ-साथ फसल का बड़ा हिस्सा खेत में ही सड़ने का खतरा बन गया है। किसान बताते हैं कि जिन खेतों में फसल अधपकी थी, वहां नुकसान और भी ज्यादा है। एक किसान ने कहा, “हमने पूरी उम्मीद से फसल तैयार की थी, लेकिन मौसम ने सब चौपट कर दिया। अब लागत निकालना भी मुश्किल लग रहा है।”

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खेती को पहले ही घाटे का सौदा

पहले से बढ़ी खाद, बीज और डीजल की कीमतों ने खेती को पहले ही घाटे का सौदा बना दिया था, अब इस प्राकृतिक आपदा ने स्थिति को और दयनीय बना दिया है। गिरा हुआ धान न सिर्फ देर से कटेगा, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। वहीं, खेतों में पानी भरने के कारण अब गेहूं की बुआई में भी विलंब तय माना जा रहा है।

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मुआवजा देने की मांग

लगातार वर्षा और हवा के कारण किसानों के चेहरों पर चिंता साफ झलक रही है। गांवों में हर ओर खेतों में गिरी फसलें बर्बादी का मंजर पेश कर रही हैं। किसान प्रशासन से सर्वे कराकर नुकसान का मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनकी मेहनत का कुछ तो सहारा मिल सके। मौसम की बेरुखी ने एक बार फिर किसानों को रुला दिया है। मेहनत की फसल अब राहत की आस में खेतों में पड़ी सड़ रही है।

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