

टाटा मोटर्स ने अपनी गाड़ियों की कीमतों में ₹65,000 से ₹1.55 लाख तक की कटौती का ऐलान किया है। यह फैसला GST दरों में बदलाव के बाद लिया गया है। अब छोटी कारों पर GST 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है।
Tata Cars
New Delhi: देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स ने अपनी गाड़ियों की कीमतों में बड़ी कटौती का ऐलान किया है। 22 सितंबर 2025 से टाटा की कारें 65,000 से लेकर 1.55 लाख रुपये तक सस्ती हो जाएंगी। कंपनी ने यह फैसला हाल ही में GST काउंसिल द्वारा टैक्स दरों में बदलाव के बाद लिया है। टाटा मोटर्स ने स्पष्ट किया है कि वह इस टैक्स कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएगी।
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3 सितंबर 2025 को GST काउंसिल की बैठक में छोटी कारों पर लगने वाला GST 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया था। यह बदलाव पेट्रोल इंजन वाली 1,200 सीसी तक और डीज़ल इंजन वाली 1,500 सीसी तक की गाड़ियों पर लागू होगा। टाटा मोटर्स का मानना है कि यह निर्णय न केवल गाड़ियों को अधिक किफायती बनाएगा, बल्कि देश में आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल वाहनों की मांग भी बढ़ाएगा।
टाटा मोटर्स की पॉपुलर कारें जैसे टाटा पंच, टियागो, अल्ट्रोज़ और नेक्सॉन पर इस कटौती का असर पड़ेगा। अब आम ग्राहक पहले की तुलना में कम कीमत पर इन गाड़ियों को खरीद सकेंगे। इससे ग्राहकों को सीधा लाभ मिलेगा और बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
GST दरों में यह बदलाव केवल टाटा की गाड़ियों तक सीमित नहीं है। मारुति की स्विफ्ट, ऑल्टो और हुंडई की ग्रैंड i10, जैसी अन्य छोटी गाड़ियां भी अब सस्ती हो सकती हैं। साथ ही 350cc तक की बाइक्स जैसे होंडा शाइन, एक्टिवा और हीरो स्प्लेंडर पर भी कीमतों में कटौती की संभावना है।
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नई GST दरें बस, ट्रक और एम्बुलेंस जैसे कमर्शियल व्हीकल्स पर भी लागू होंगी। अब इन वाहनों पर भी 28 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत GST लगेगा, जिससे ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक सेक्टर को राहत मिलेगी।
दूसरी ओर सरकार ने लग्जरी गाड़ियों पर GST को 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, इसमें पहले जो 17-22 प्रतिशत तक का कॉम्पेन्सेशन सेस लगाया जाता था, उसे अब हटा दिया गया है। उदाहरण के लिए पहले यदि किसी मर्सिडीज की कीमत ₹1 करोड़ होती थी तो कुल टैक्स ₹50 लाख तक पहुंच जाता था। लेकिन अब वह घटकर करीब ₹40 लाख हो सकता है।
कॉम्पेन्सेशन सेस एक तरह का अतिरिक्त टैक्स था जिसे 2017 में GST लागू करते समय राज्यों को संभावित नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया था। इसे महंगी गाड़ियों, शराब और तंबाकू आदि पर लागू किया जाता था। अब जब राज्यों को मुआवजे की अवधि पूरी हो चुकी है, सरकार ने सेस हटाने का फैसला लिया है।