

सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कैश ऑन डिलिवरी पर अतिरिक्त शुल्क वसूलने को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले “डार्क पैटर्न” की जांच तेज हो गई है। जल्द ही नए नियम भी आ सकते हैं।
ई-कॉमर्स पर कसा शिकंजा
New Delhi: देश में डिजिटल खरीदारी का चलन तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियों का कारोबार भी आसमान छू रहा है। लेकिन इसी रफ्तार के साथ अब इन कंपनियों के कामकाज पर सवाल उठने लगे हैं। खासतौर पर कैश ऑन डिलिवरी (COD) पर अतिरिक्त शुल्क वसूलने को लेकर सरकार ने अब सख्त रुख अपनाया है।
हाल ही में उपभोक्ताओं ने सोशल मीडिया पर शिकायतें साझा की थीं कि जोमैटो, स्विगी और जेप्टो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स COD के विकल्प पर अतिरिक्त “पेमेंट हैंडलिंग चार्ज” वसूल रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ कंपनियाँ "रेन फीस" जैसे अजीबोगरीब नामों से भी अतिरिक्त राशि वसूल रही हैं। इससे उपभोक्ताओं में भारी असंतोष है।
ग्राहकों से ठगी का खेल खत्म
इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उपभोक्ता मामलों का विभाग (Department of Consumer Affairs) अब इन कंपनियों की जांच में जुट गया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इन मामलों को “डार्क पैटर्न” बताते हुए कड़ी कार्रवाई का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे भ्रामक तरीके उपभोक्ताओं को जानबूझकर गुमराह करते हैं, जिससे वे अपनी जानकारी के बिना अतिरिक्त भुगतान कर बैठते हैं।
सरकार ने ई-कॉमर्स मंच पर डार्क पैटर्न पर प्रतिबंध लगाया
सरकार का कहना है कि ग्राहक को पूरी पारदर्शिता के साथ सेवा दी जानी चाहिए, न कि छिपे हुए चार्जेस के जरिए ठगा जाना चाहिए। इसी कड़ी में सरकार “डार्क पैटर्न” पर रोक लगाने और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक नया कानून लाने की तैयारी में है। यह कानून ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी या गुमराह करने वाले व्यवहार से रोकने के लिए बनाया जा रहा है।
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सरकार ने पहले भी कई बार ऑनलाइन कंपनियों को ग्राहकों के साथ पारदर्शिता बरतने की सलाह दी है, लेकिन अब यह चेतावनी से आगे बढ़कर कार्रवाई के स्तर पर पहुँच गई है। उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि सरकार की इस सख्ती से ऑनलाइन खरीदारी अनुभव अधिक भरोसेमंद और सुरक्षित बनेगा।
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