

बिहार की सियासत में उस वक्त एक दिलचस्प मोड़ आया जब पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने मंगलवार को कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात की। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी से बैठक के बाद उन्होंने सोनिया गांधी के आवास पर जाकर प्रियंका गांधी वाड्रा से भी खास मुलाकात की। इसी मुलाकात ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
प्रियंका गांधी (सोर्स इंटरनेट)
Patna: बिहार की सियासत में उस वक्त एक दिलचस्प मोड़ आया जब पूर्णिया से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने मंगलवार को कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व के साथ मुलाकात की। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में राहुल गांधी से बैठक के बाद उन्होंने सोनिया गांधी के आवास पर जाकर प्रियंका गांधी वाड्रा से भी खास मुलाकात की। इसी मुलाकात ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, पप्पू यादव ने प्रियंका गांधी से बिहार में कांग्रेस के लिए प्रचार करने का आग्रह किया है। यह पहली बार नहीं है जब प्रियंका गांधी के बिहार दौरे की चर्चा हुई हो, लेकिन यह मुलाकात इस बार ज्यादा गंभीर मानी जा रही है। वजह साफ है पप्पू यादव अब केवल क्षेत्रीय नेता नहीं रहे, बल्कि कांग्रेस के रणनीतिक हलकों में उनकी मौजूदगी और भूमिका दोनों बढ़ती जा रही है।
पप्पू यादव ने मीडिया से बातचीत में साफ शब्दों में कहा कि "प्रियंका गांधी का आशीर्वाद मेरे लिए सबसे बड़ा है। राहुल गांधी बिहार में छह बार आ चुके हैं, जिससे गरीब, ईबीसी, एससी-एसटी समुदायों का कांग्रेस के प्रति भरोसा बढ़ा है। लेकिन अब जनता प्रियंका गांधी को देखना और सुनना चाहती है।" उनका यह बयान न केवल व्यक्तिगत निष्ठा का प्रतीक है, बल्कि यह कांग्रेस की भविष्य की प्रचार रणनीति को एक नया स्वर देने का प्रयास भी है।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी के बिहार दौरे की खूब चर्चा हुई थी, लेकिन वे राज्य में एक भी चुनावी मंच पर नहीं आईं। अब जब विधानसभा चुनाव करीब हैं, कांग्रेस को राज्य में चेहरा और ऊर्जा दोनों की सख्त जरूरत है। प्रियंका गांधी का मैदान में उतरना—विशेषकर महिला, युवा और ग्रामीण वोटरों के बीच—एक गेमचेंजर हो सकता है।
यह भी अहम है कि पप्पू यादव इस बार कांग्रेस की आधिकारिक रणनीतिक बैठक का हिस्सा बने। सोमवार को दिल्ली में हुई इस बैठक में न केवल राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद थे, बल्कि प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम भी बैठक में शामिल रहे। यह पहली बार है जब पप्पू यादव को कांग्रेस के नीति निर्धारकों के साथ एक मंच पर देखा गया।
प्रियंका गांधी का प्रचार में उतरना अभी औपचारिक रूप से तय नहीं हुआ है, लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, वो साफ दर्शाते हैं कि कांग्रेस बिहार में अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक रणनीति अपनाने की ओर बढ़ रही है। और इसमें पप्पू यादव एक मजबूत कड़ी बन सकते हैं। प्रियंका गांधी यदि बिहार में प्रचार करती हैं, तो यह न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाएगा, बल्कि गठबंधन की राजनीति में भी संतुलन को प्रभावित करेगा। वहीं पप्पू यादव की भूमिका अब केवल सहयोगी की नहीं, बल्कि कांग्रेस के अंदर एक प्रभावशाली रणनीतिकार के तौर पर उभरती दिख रही है। बिहार चुनाव 2025 से पहले यह गठजोड़ और इसकी रणनीति—राज्य की सियासत की दिशा बदल सकती है।
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