Bihar Election 2025: बिहार में कौन-कौन हैं CM पद के दावेदार? किस दल का पलड़ा भारी

पटना की गलियों से लेकर पूर्णिया की पंचायतों तक, सासाराम से लेकर सीवान तक और दरभंगा की कचहरी से लेकर गया के गलियारों तक, बस एक ही सवाल…

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 2 July 2025, 2:42 PM IST
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पटना: बिहार के पटना की गलियों से लेकर पूर्णिया की पंचायतों तक, सासाराम से लेकर सीवान तक और दरभंगा की कचहरी से लेकर गया के गलियारों तक, बस एक ही सवाल गूंज रहा है। इस बार मुख्यमंत्री कौन बनेगा?

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, बिहार में राजनीति कभी सीधी रेखा में नहीं चलती। वहीं अब 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक है, तो यह सवाल फिर जोर पकड़ रहा है कि बिहार का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? क्या नीतीश कुमार फिर से आखिरी कोशिश करेंगे? क्या तेजस्वी यादव का 'मिशन 2025' हकीकत बनेगा? या फिर इस बार बिहार की सत्ता पर कोई तीसरा चेहरा हावी होगा?

राह पहले से कहीं ज्यादा कठिन

कभी 'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर नीतीश कुमार आज फिर मैदान में हैं, लेकिन इस बार उनकी राह पहले से कहीं ज्यादा कठिन नजर आ रही है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पुराने वोट बैंक में दरारें दिखने लगी हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ 'बार-बार' गठबंधन और 'बार-बार' अलगाव ने उनके नेतृत्व की साख को चोट पहुंचाई है। नीतीश अब उस उम्र में हैं जहां जनता उनके अनुभव को महत्व देती है, लेकिन युवा मतदाता अब बदलाव चाहता है। बेरोजगारी, शिक्षा की खराब स्थिति, खराब स्वास्थ्य सेवा और लगातार पलायन जैसे मुद्दे नीतीश कुमार के चेहरे की चमक को कम कर रहे हैं। लेकिन नीतीश को पूरी तरह से नजरअंदाज करना एक भूल होगी। उनकी प्रशासनिक पकड़, जमीनी नेटवर्क और कुशल गठबंधन की राजनीति अभी भी उन्हें गेम चेंजर बना सकती है।

राजनीति में 'युवा चेहरा'

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव को अब तक बिहार की राजनीति में 'युवा चेहरा' माना जाता रहा है। लेकिन अब जबकि 2025 का चुनाव आ गया है, तो उन्हें सिर्फ चेहरा नहीं बल्कि विकल्प के तौर पर उभरना होगा। 2020 में वे एक मजबूत चुनौती बनकर उभरे और अब उनके पास अनुभव, संगठन और जनता का समर्थन का मेल है।तेजस्वी बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। उन्होंने सत्ता में आते ही 10 लाख सरकारी नौकरियां शुरू करने का वादा किया है- वही मुद्दा जिसने उन्हें 2020 में युवा मतदाताओं का हीरो बना दिया।

स्पष्ट रणनीति की तलाश

भाजपा की बात करें तो मुख्यमंत्री चेहरे को स्पष्ट किए बिना ही चुनाव की तैयारी में जुटी है। वहीं कांग्रेस अभी भी स्पष्ट रणनीति की तलाश में है। फिलहाल बिहार का चुनाव एक सामान्य चुनाव नहीं है। यह चुनाव ही तय करेगा की बिहार किस रास्ते पर जाएगा, पुराना या कोई नई सोच, नया चेहरा जो बिहार को बदलेगा।

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