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बिहार विधानसभा चुनाव का मतदान जारी है, यह चुनाव न सिर्फ राज्य की सरकार तय करेंगे बल्कि देश में राजनीतिक समीकरणों को भी असर पहुंचा सकते हैं। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जातीय समीकरण और विकास की चुनौतियां मिलकर परंपरागत राजनीति को झटका दे रही हैं।
बिहार चुनाव पर पूरे देश की नजर
Patna: बिहार विधानसभा 2025 चुनाव का मतदान राज्य में सुचारु रुप से चल रहा है, यह चुनाव केवल एक राज्य-स्तरीय राजनीति नहीं बल्कि देश की दिशा तय करने वाला मापदंड बन चुका है। इस चुनाव में कई मायनों में केंद्र और राज्य की राजनीति का परीक्षण हो रहा है। इस मतदान का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि यहाँ लोकसभा के लिए 543 में से 40 सीटें हैं, जो राजनीतिक दलों के लिए बड़े गेमचेंजर साबित होती रही हैं।
बिहार राज्य में जात-पात की राजनीति अपनी गहरी जड़ें बना चुकी है, यहाँ बेहद पिछड़े वर्ग लगभग 36 % आबादी में हैं, जो आज निर्णायक वोट बैंक बन चुके हैं। इस चुनाव में विकास की चुनौतियां प्रमुख हैं। बिहार में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा-स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे गहराई से उठ रहे हैं। खासतौर पर वो वोट बैंक जो पहले असर में नहीं थे, जैसे युवा, महिलाएं, पिछड़ा वर्ग लेकिन अब राज्य में उनकी भी उम्मीदें सरकार से बढ़ने लगी हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं की हिस्सेदारी (Image Source: Internet)
उत्तर प्रदेश की राजनीति और बिहार की राजनीति में गहरा संबंध है। दोनों ही राज्यों में जात-समुदाय, सामाजिक संरचना और ग्रामीण-शहरी चुनौतियाँ काफी मिलती-जुलती हैं। इसलिए देश में यूपी-बिहार चुनाव महत्वपूर्व मायने रखते हैं। यूपी अगामी चुनाव की तैयारियां बिहार के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल रही हैं। इस चुनाव में भाजपा की रणनीति देखकर विपक्ष भी इसे अगले बड़े रणभूमि के रूप में देख रहा हैं।
इस बार चुनाव सिर्फ सीटों की जंग नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश का मुकाबला है, क्या बिहार विकास में कुछ नया होगा या पुरानी सामाजिक संरचनाओं पर टिकेगा? राजनीतिक दलों के लिए अब यह साबित करने का मौका है कि किसने बेहतर रणनीति बनाई, किसने ground-level पर बेहतर काम किया। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि बिहार के वोटर्स अब सिर्फ जात-समुदाय के आधार पर नहीं बल्कि सेवा-प्रभाव, विकास, पहचान और भरोसे के पैमाने पर भी निर्णय ले रहे हैं।
राज्य में गठबन्धनों का मोड़ और दलों की रणनीति बदलाव में हैं। पुराने समीकरणों में दरार पड़ी है, और नए फूट-भाग, नए गठबन्धन सामने आ रहे हैं। इससे भविष्य में भारत की विपक्षी-भाजपा की राजनीति पर असर पड़ सकता है। इस प्रकार, बिहार चुनाव न सिर्फ बिहार का बल्कि देश का भविष्य तय कर सकते हैं, यह बताने का मंच हैं कि अगला दशक भारत में किस तरह की राजनीति, किस तरह का विकास और किस तरह की सामाजिक संरचना ले कर चलेगा।