भारत में पुराने व्हीकल फिटनेस टेस्ट की फीस बढ़ी, जानें सरकार ने क्यों लिया ये बड़ा फैसला और किसे चुकाने होंगे ज्यादा पैसे?

भारत सरकार ने पुराने वाहनों के फिटनेस टेस्ट की फीस 10 गुना तक बढ़ा दी है।सरकार का कहना है कि यह फैसले सड़क सुरक्षा बढ़ाने और प्रदूषण कम करने के लिए जरूरी हैं। जानें किस वाहन के लिए कितनी फीस देनी होगी।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 22 November 2025, 11:45 AM IST
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New Delhi: भारत सरकार ने देशभर में वाहनों की फिटनेस टेस्ट फीस को बढ़ाते हुए एक बड़ा बदलाव किया है। परिवहन मंत्रालय (MoRTH) द्वारा सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स में पांचवां संशोधन लागू किया गया है, जिसके बाद अब 10, 15 और 20 साल से अधिक पुराने वाहनों की फिटनेस टेस्ट फीस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर बढ़ाया गया है। नया फी-स्ट्रक्चर तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

पहले 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों के लिए ही भारी फीस ली जाती थी, लेकिन अब 10 साल पुराने वाहन भी इस बढ़ी हुई लागत के दायरे में आ गए हैं।

सरकार ने क्यों बढ़ाई फिटनेस टेस्ट फीस?

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि यह कदम पुराने, असुरक्षित और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार का मानना है कि पुराने वाहन लोगों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनते हैं, इनसे निकलने वाला धुआं पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है, कॉमर्शियल वाहनों के पुराने होने पर इंजन फेलियर और तकनीकी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। पुराने वाहनों की फिटनेस टेस्ट फीस बढ़ाकर सरकार लोगों को नए और सुरक्षित वाहनों का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना चाहती है।

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सरकार ने क्यों बढ़ाई फिटनेस टेस्ट फीस (img source: Google)

देखें नया फी-स्ट्रक्चर

15 साल से कम पुराने वाहन

  • टू-व्हीलर: ₹400
  • लाइट मोटर व्हीकल (कार): ₹600
  • मीडियम और हेवी कॉमर्शियल व्हीकल: ₹1,000

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15 साल से अधिक पुराने वाहन

  • टू-व्हीलर: ₹600
  • थ्री-व्हीलर: ₹400–₹600
  • लाइट मोटर व्हीकल (LMV/कार): ₹600–₹1,000
  • मीडियम गुड्स/पैसेंजर व्हीकल: ₹1,800
  • हेवी गुड्स/पैसेंजर व्हीकल (ट्रक/बस): ₹2,500

सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा असर कॉमर्शियल वाहनों पर पड़ेगा, जिनकी फिटनेस टेस्ट फीस पहले की तुलना में लगभग 10 गुना तक बढ़ाई गई है।

पुराने वाहन क्यों बढ़ाते हैं खतरा?

  1. विशेषज्ञों के अनुसार, वाहन जैसे-जैसे पुराने होते हैं, उनकी सुरक्षा क्षमता कम होती जाती है।
  2. ब्रेक फेलियर का जोखिम बढ़ता है
  3. इंजन का प्रदर्शन गिरता है
  4. धुआं और प्रदूषण कई गुना बढ़ जाता है
  5. ओवरलोडिंग से दुर्घटनाओं की संभावना ज्यादा हो जाती है
  6. पुराने कॉमर्शियल वाहनों में ये जोखिम और भी अधिक होता है, इसलिए सरकार ने इस श्रेणी में फीस सबसे ज्यादा बढ़ाई है।

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क्या बदलेगी आपकी जेब पर मार?

जो वाहन 10–15 साल पुराने हैं, उन्हें अब पहले की तुलना में अधिक फिटनेस फीस चुकानी पड़ेगी। कॉमर्शियल वाहन मालिकों को हर साल फिटनेस टेस्ट करवाना होता है, इसलिए उनका खर्च काफी बढ़ जाएगा। सरकार के इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वही वाहन सड़क पर चलें जो सुरक्षित और पर्यावरण मानकों पर खरे उतरते हों।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 22 November 2025, 11:45 AM IST

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