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महराजगंज के लक्ष्मीपुर के रमेश गुप्ता ने कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई कर शिक्षा का महत्व साबित किया। आज वे गांव के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा के प्रसार में जुटे हैं। उनकी प्रेरक कहानी बताती है- अगर इच्छा हो तो कोई बाधा नहीं रोक सकती।
Maharajganj: लक्ष्मीपुर क्षेत्र के वनटांगिया गांव के 65 वर्षीय रमेश गुप्ता आज भी शिक्षा को जीवन का सबसे बड़ा वरदान मानते हैं। 1980 के दशक में जब इलाके में न सड़क थी, न बिजली, तब रमेश रोजाना 10 किलोमीटर पैदल चलकर अपनी पढ़ाई पूरी करने जाया करते थे। उस दौर में जंगलों से गुजरते हुए, जंगली जानवरों के डर के बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। आज जब वह गांव के युवाओं को पढ़ाई के प्रति जागरूक करते हैं।
रमेश गुप्ता बताते हैं कि 'बिजली, सड़क और पानी बाद में आ सकते हैं, लेकिन अगर शिक्षा नहीं होगी तो विकास अधूरा रहेगा। शिक्षा ही वह कुंजी है जो हर दरवाजा खोल सकती है।' उनका कहना है कि उन्होंने खुद अपने जीवन में यह देखा है कि बिना शिक्षा के व्यक्ति कितनी कठिनाइयों का सामना करता है।
अब जब वनटांगिया क्षेत्र में बिजली और सड़क पहुंच चुकी है, रमेश चाहते हैं कि यहां के बच्चे वही संघर्ष न दोहराएं जो उन्होंने झेला। वे अपने गांव में बच्चों को निशुल्क ट्यूशन पढ़ाते हैं और माता-पिता को भी प्रेरित करते हैं कि वे अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजें।
उनका मानना है कि सरकार की योजनाएं तभी सफल होंगी जब ग्रामीण समाज शिक्षित होगा। वे कहते हैं, 'अगर शिक्षा होगी तो रोजगार, स्वास्थ्य और विकास सब मुमकिन हैं।'