हिंदी
उत्तराखंड में 9 दिसंबर 2025 को सर्दी चरम पर रहने वाली है। मैदानी से ऊंचाई वाले इलाकों तक शीतलहर का असर साफ दिखेगा। सुबह घना कोहरा, दिन में ठंडी हवाएं और रात में गिरता तापमान लोगों को कंपा देगा। पहाड़ी इलाकों में हल्की बर्फबारी की संभावना भी बनी रहेगी।
मैदानी से पर्वतीय इलाकों तक बरसेगी हड्डी कंपा देने वाली सर्दी (Img- Google)
Dehradun: उत्तराखंड में 9 दिसंबर 2025 को सर्दी अपने चरम पर रहने वाली है। मौसम भले ही साफ दिखेगा, पर ठंडी हवाओं का असर पूरे राज्य में महसूस किया जाएगा। मैदानी इलाकों से लेकर ऊंचाई वाले पहाड़ों तक शीतलहर का प्रभाव पूरे दिन हड्डियां जमा देने वाला रहेगा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार तेज ठंडी हवाएं तापमान को 1–3°C तक और नीचे धकेल सकती हैं, जिससे लोग दिनभर कंपकंपी महसूस करेंगे।
देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, काशीपुर और रुद्रपुर जैसे मैदानी शहरों में सुबह का तापमान 5°C–7°C के बीच दर्ज होने का अनुमान है। 80–90% तक नमी मौजूद रहने के कारण कोहरा बेहद घना रहेगा, जिससे दृश्यता 50-200 मीटर तक सीमित हो सकती है।
घने कोहरे से ट्रैफिक की रफ्तार प्रभावित रहेगी और सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है। लोगों को सुबह की यात्रा के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
पहाड़ी क्षेत्रों में भी ठंड का प्रकोप कम नहीं होगा। चोपता, औली, बदरीनाथ, केदारनाथ, मुनस्यारी और हर्षिल में सुबह का तापमान -1°C से 2°C के बीच रहने की संभावना है।
सीजन की सबसे कड़ाके की ठंड (Img- Google)
तेज बर्फीली हवाओं के चलते “विंड चिल इफेक्ट” महसूस होगा, जिससे वास्तविक तापमान से 2–3°C कम महसूस हो सकता है। कुछ ऊंचे इलाकों में शाम तक हल्की बर्फबारी की भी संभावना बनी हुई है, जिससे ठंड और बढ़ सकती है।
दोपहर में मौसम थोड़ा खुला रहेगा, लेकिन धूप में गर्माहट बेहद कम होगी। मैदानी क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 16°C–19°C तक पहुंच सकता है, जबकि पहाड़ों में यह 8°C–12°C के बीच रहेगा।
ठंडी हवाओं के कारण लोग धूप में बैठकर भी ठिठुरन महसूस करेंगे। हालांकि, मौसम सुहावना होने के कारण औली, हर्षिल और मुनस्यारी जैसे पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने की उम्मीद है।
शाम होते ही तापमान तेजी से नीचे जाएगा। मैदानी इलाकों में रात का तापमान फिर से 6°C–8°C तक पहुंच सकता है। वहीं पहाड़ों में रातें और कठोर होंगी, जहां पारा -2°C से 2°C के बीच दर्ज होने का अनुमान है।
उच्च हिमालयी इलाकों में 20–35 km/h की रफ्तार से बर्फीली हवाएं चल सकती हैं, जिससे पाला जमने की संभावना बढ़ेगी। यह पाला सड़कों पर खतरनाक फिसलन पैदा कर सकता है, खासकर ऐसे इलाकों में जहां पहले से ही पतली बर्फ की परत मौजूद है।