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भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर रुद्रप्रयाग पुलिस ने पूरे जनपद में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। पुलिस लाइन, थाने और चौकियों पर सामूहिक गायन के साथ जनमानस को राष्ट्रभक्ति की भावना से जोड़ा गया।
रुद्रप्रयाग में वंदे मातरम कार्यक्रम (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Rudraprayag: भारतवर्ष के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर जनपद रुद्रप्रयाग पुलिस के स्तर से विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। पुलिस कार्यालय, पुलिस लाइन, अग्निशमन इकाई, थाने और चौकियों पर सामूहिक रूप से वंदे मातरम का गायन किया गया।
पुलिस कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पुलिस उपाधीक्षक रुद्रप्रयाग ने अधीनस्थ पुलिस बल को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह अनूठी पहल भारत सरकार की ओर से राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा देने के लिए की गई है। ऐसे आयोजन अनुशासित बल में कर्तव्य निर्वहन की ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करते हैं।
वंदे मातरम की रचना श्री बंकिमचंद्र चटर्जी ने 07 नवम्बर 1875 को की थी। यह गीत पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ। गीत मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक मानता है।
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वंदे मातरम भारत की एकता और राष्ट्रीय गौरव का स्थायी प्रतीक बन चुका है। यह न केवल राष्ट्रभक्ति की भावना जगाता है बल्कि अनुशासन और कर्तव्यबोध को भी प्रोत्साहित करता है। पुलिस बल में ऐसे कार्यक्रमों से सेवा भावना और उत्साह बढ़ता है।
आगामी 14 नवम्बर तक जनपद पुलिस के स्तर से प्रथम चरण में आम जनमानस के बीच जाकर वंदे मातरम के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य नागरिकों को राष्ट्रीय गीत से जोड़ना और उनमें देशभक्ति की भावना का संचार करना है।
कार्यक्रम में पुलिस अधिकारी और जवान पूरे उत्साह के साथ उपस्थित हुए। सभी ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम का गायन किया और भारत माता की जयकार के साथ कार्यक्रम का समापन किया। यह आयोजन अनुशासन, एकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बना।
रुद्रप्रयाग पुलिस आगामी दिनों में अन्य सरकारी और सार्वजनिक संस्थानों के सहयोग से वंदे मातरम कार्यक्रम का विस्तार करेगी। इस प्रकार के आयोजन से नागरिकों में राष्ट्रीय गीत के महत्व और भारत माता के प्रति सम्मान की भावना बढ़ती है।
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जनपद पुलिस ने बताया कि सभी कार्यक्रमों में आम जनता की सहभागिता को बढ़ावा दिया जाएगा। लोग सामूहिक गायन में भाग लेकर राष्ट्रभक्ति और संस्कृति के महत्व को समझ सकेंगे।