

पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए दोनों पक्षों को शांत कराया और बयान दर्ज किए। विकास पाल ने अपने बयान में जसबीर सिंह और अभिषेक पर दुर्व्यवहार और मारपीट के गंभीर आरोप लगाए।
पीड़ित भाजपा नेता
Roorkee: ढंडेरा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर गहराती गुटबाजी शनिवार को उस वक्त खुलकर सामने आ गई, जब एक संगठनात्मक बैठक के दौरान पार्टी के मंडल अध्यक्ष विकास पाल, पूर्व मंडल अध्यक्ष जसबीर सिंह और सभासद प्रतिनिधि अभिषेक के बीच कहासुनी इतनी बढ़ गई कि मामला हाथापाई तक जा पहुंचा। यह विवाद भाजपा की आंतरिक राजनीति को लेकर कई सवाल खड़े कर गया है।
तेज़ बहस से शुरू होकर पहुंचा हाथापाई तक
यह विवाद किसी संगठनात्मक मुद्दे को लेकर शुरू हुआ था। मंडल अध्यक्ष विकास पाल और पूर्व अध्यक्ष जसबीर सिंह के बीच तीखी बहस हो रही थी कि तभी जसबीर सिंह का पुत्र अभिषेक भी मौके पर आ गया। बहस ने जल्द ही आक्रामक रूप ले लिया और एक-दूसरे पर व्यक्तिगत आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया। देखते ही देखते स्थिति बेकाबू हो गई और दोनों गुटों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई शुरू हो गई। बीच-बचाव करने की कोशिशें भी नाकाम रहीं और माहौल तनावपूर्ण होता चला गया।
कोतवाली पहुंचे दोनों पक्ष
हंगामे के बाद दोनों पक्ष अपने-अपने समर्थकों के साथ रुड़की कोतवाली पहुंच गए। जहां भी गहमागहमी का माहौल बना रहा। पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए दोनों पक्षों को शांत कराया और बयान दर्ज किए। विकास पाल ने अपने बयान में जसबीर सिंह और अभिषेक पर दुर्व्यवहार और मारपीट के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह हमला व्यक्तिगत रंजिश और संगठन को अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने मांग की कि पुलिस सख्त कार्रवाई करे ताकि भविष्य में ऐसे घटनाक्रम की पुनरावृत्ति न हो।
विरोधी पक्ष ने सभी आरोप खारिज किए
दूसरी ओर जसबीर सिंह और उनके पुत्र अभिषेक ने सभी आरोपों को निराधार और राजनीतिक द्वेष से प्रेरित बताया। उनका कहना है कि विकास पाल झूठे आरोपों के जरिए उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने इसे सुनियोजित साजिश करार देते हुए पार्टी नेतृत्व से न्याय की मांग की।
पुलिस कर रही मामले की जांच
फिलहाल पुलिस ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और चश्मदीदों के बयान के आधार पर निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी। पुलिस यह भी देख रही है कि विवाद का प्रारंभ किसने किया और किस पक्ष ने पहले आक्रामक रुख अपनाया।
पार्टी अनुशासन और एकता पर उठे सवाल
यह पूरा घटनाक्रम भाजपा के स्थानीय संगठनात्मक ढांचे और अनुशासन पर सवाल खड़े कर गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं में इस विवाद को लेकर नाराजगी और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वरिष्ठ कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी असहज महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह विवाद भाजपा के गठबंधन और अनुशासन की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
स्थानीय राजनीति पर पड़ेगा असर?
ढंडेरा क्षेत्र को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है, जहां से पार्टी को हर चुनाव में अच्छी पकड़ मिलती रही है। लेकिन इस तरह के आंतरिक टकराव से पार्टी की स्थानीय छवि और कार्यकर्ता मनोबल पर असर पड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर पार्टी नेतृत्व जल्द इस विवाद को शांत नहीं करता, तो इसका असर आगामी चुनावों और संगठन की पकड़ पर पड़ सकता है।