नैनीताल जिला पंचायत चुनाव विवाद: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से मांगी नियमावली, जानें क्यों

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव में री-पोलिंग की मांग पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से 1994 की नियमावली की हैंडबुक तलब की है। कोर्ट ने साफ किया कि स्पष्ट नियम न होने पर अंतिम फैसला आयोग का होगा। अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 27 August 2025, 1:37 AM IST
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Nainital: नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर हुए चुनाव को लेकर उठे विवाद में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अहम निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने चुनाव में कथित अनियमितताओं और पुनर्मतदान (री-पोलिंग) की मांग पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से ‘जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष निर्वाचन एवं विवाद निवारण नियमावली 1994’ की हैंडबुक अदालत में प्रस्तुत करने को कहा है।

यह आदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ comprising मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय द्वारा सोमवार को सुनवाई के दौरान पारित किया गया। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि बुधवार को निर्धारित की है।

क्या है मामला?

यह पूरा विवाद 14 अगस्त 2025 को हुए जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव से जुड़ा है। चुनाव में कुल 27 में से 22 सदस्यों ने मतदान किया, जबकि शेष 5 सदस्य चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए।

इन पांच सदस्यों के अपहरण का मुकदमा तल्लीताल थाने में दर्ज कराया गया, जिसके चलते चुनाव की वैधता पर सवाल खड़े हो गए। हालांकि, बाद में उन सदस्यों ने शपथपत्र देकर स्वयं को मतदान प्रक्रिया से अलग बताया और एक वीडियो जारी कर यह भी बताया कि वे सुरक्षित हैं।

इस विवाद के बाद न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया और मामले में जिला अधिकारी (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को न्यायालय में तलब किया।

डीएम का जवाब और निर्वाचन आयोग की भूमिका

सुनवाई के दौरान जिला अधिकारी ने अदालत को बताया कि उन्होंने निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर चुनाव की प्रक्रिया की समीक्षा करने और पुनर्मतदान की अनुशंसा करने का विचार किया है।

वहीं, निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय भट्ट ने न्यायालय को सूचित किया कि पूर्ववर्ती सुनवाई में सभी पक्षकारों की दलीलें सुन ली गई थीं, इसके बावजूद सोमवार को फिर से विस्तृत बहस हुई।

याचिकाकर्ता की दलील और अदालत की टिप्पणी

याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने कहा कि वह इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अपनी दलील सीधे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि 1994 की नियमावली में चुनाव के ऐसे विवादों के समाधान को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, तो अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग द्वारा ही किया जाएगा। यह टिप्पणी चुनाव प्रक्रिया की वैधता, संभावित दोहराव और पुनर्मतदान जैसे मुद्दों पर आयोग की भूमिका को स्पष्ट करती है।

अगली सुनवाई होगी निर्णायक

अब सबकी निगाहें बुधवार को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। यदि निर्वाचन आयोग नियमावली की स्पष्ट व्याख्या करने में असफल रहता है या किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता, तो न्यायालय स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कोई निर्णय ले सकता है।

इस प्रकरण ने स्थानीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से अब इस मामले को नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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