

नैनीताल जिले के खैरना क्षेत्र में 13 अगस्त को एक दर्दनाक सड़क हादसे ने क्षेत्रवासियों को गहरे सदमे में डाल दिया। अल्मोड़ा निवासी सात वर्षीय हिमांशु कुमार अपनी मां आशा देवी के साथ सड़क किनारे पैदल चल रहा था, तभी एक तेज रफ्तार और अनियंत्रित बुलेट बाइक ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसा इतना भयानक था कि बाइक बच्चे को कुछ दूरी तक घसीटती ले गई, जिससे हिमांशु गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
Nainital: नैनीताल जिले के खैरना क्षेत्र में 13 अगस्त को एक दर्दनाक सड़क हादसे ने क्षेत्रवासियों को गहरे सदमे में डाल दिया। अल्मोड़ा निवासी सात वर्षीय हिमांशु कुमार अपनी मां आशा देवी के साथ सड़क किनारे पैदल चल रहा था, तभी एक तेज रफ्तार और अनियंत्रित बुलेट बाइक ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसा इतना भयानक था कि बाइक बच्चे को कुछ दूरी तक घसीटती ले गई, जिससे हिमांशु गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
हिमांशु मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के बड़सीला गडस्यारी गांव का निवासी था। हादसे के समय वह अपनी मां के साथ खैरना क्षेत्र में किसी कार्यवश आया हुआ था। दुर्घटना के दौरान मां आशा देवी भी बाइक की चपेट में आ गईं और घायल हो गईं। उन्हें प्राथमिक इलाज के बाद हल्द्वानी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार जारी है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बाइक अत्यधिक तेज गति में थी और चालक ने वाहन पर नियंत्रण खो दिया था। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों की मदद से घायल मां-बेटे को अस्पताल पहुंचाया गया। दुर्भाग्यवश, हिमांशु को बचाया नहीं जा सका और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
पुलिस ने बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और कार्रवाई शुरू कर दी है। खैरना चौकी प्रभारी प्रकाश सिंह मेहरा ने बताया कि परिजनों की ओर से तहरीर मिलने के बाद आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, बाइक चालक की पहचान और उससे पूछताछ की प्रक्रिया जारी है।
यह हादसा एक बार फिर से सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के पालन की गंभीर आवश्यकता की ओर इशारा करता है। मासूम हिमांशु की असमय मौत ने उसके परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र को शोक में डाल दिया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से सड़क पर गति नियंत्रण के उपाय करने और दोषी चालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इस हृदयविदारक घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कब तक लापरवाही की भेंट मासूम चढ़ते रहेंगे। सड़क पर चलते हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना अब केवल ज़रूरत नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुकी है।