

राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत कैशलेस उपचार से निजी अस्पतालों के हाथ खींचने पर राज्य सरकार हरकत में आ गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
सरकारी कर्मचारियों को तगड़ा झटका
देहरादून: राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) के तहत कैशलेस उपचार से निजी अस्पतालों के हाथ खींचने पर राज्य सरकार हरकत में आ गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस गंभीर मुद्दे का संज्ञान लेते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए) को सख्त निर्देश दिए हैं कि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को योजना का लाभ निर्बाध रूप से मिलता रहे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, बुधवार को आयोजित एसजीएचएस की समीक्षा बैठक में मंत्री रावत ने कहा कि योजना सरकार के चार लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अधिकारियों से प्रभावी योजना तैयार कर राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2024-25 में कर्मचारियों और पेंशनरों के अंशदान से 150 करोड़ रुपये एकत्र हुए, जबकि उपचार पर 335 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह वित्तीय असंतुलन योजना के संचालन में बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में हिमालयन अस्पताल जॉली ग्रांट, कैलाश अस्पताल, कनिष्क अस्पताल, ग्राफिक एरा अस्पताल, मेदांता अस्पताल गुरुग्राम सहित कई निजी अस्पतालों ने एसजीएचएस के तहत मरीजों को कैशलेस इलाज देने से इंकार कर दिया है। जानकारी के अनुसार, इन अस्पतालों को 130 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है और एसएचए के पास पर्याप्त बजट न होने से यह संकट गहरा गया है।
एसजीएचएस योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन से ग्रेड पे के अनुसार मासिक कटौती की जाती है, वहीं पेंशनभोगी भी इसमें योगदान करते हैं। यह राशि मिलकर योजना के संचालन व कैशलेस इलाज के लिए प्रयोग होती है।
बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, एसएचए के निदेशक वित्त अभिषेक आनंद, निदेशक प्रशासन डॉ. विनोद टोलिया समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मंत्री रावत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस योजना को बाधित नहीं होने देगी और शीघ्र ही समाधान निकाला जाएगा।