

हलद्वानी में पंचायत चुनाव की तैयारी में कांग्रेस ने कमर कस ली है। ऐसे में नैनीताल जिले के लिए प्रभारियों ने घोषणा कर दिए है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नैनीताल जिले के लिए प्रभारियों की घोषणा
हल्द्वानी: जैसे-जैसे पंचायत चुनाव नजदीक आ रहे हैं, उत्तराखंड की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने नैनीताल जिले में संगठन को मजबूती देने और जमीनी स्तर पर अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए बड़ी पहल की है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिम्वाल ने जिले के नगर और ब्लॉक क्षेत्रों के लिए प्रभारियों की घोषणा कर दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, छिम्वाल ने कहा कि यह नियुक्तियां संगठनात्मक गतिविधियों को गति देने और बूथ स्तर तक तैयारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी नियुक्त प्रभारी अपने-अपने क्षेत्रों में जिम्मेदारी और सक्रियता के साथ कार्य करेंगे, जिससे संगठन को नई धार मिलेगी।
प्रभारियों की सूची इस प्रकार है: हल्द्वानी नगर से राजेंद्र खनवाल, रामगढ़ से देवेंद्र चुनौतिया, धारी से भुवन दर्मवाल, भवाली से उमेश कबडवाल, भीमताल नगर से नीरज तिवारी, नैनीताल नगर से अखिल भंडारी, रामनगर शहर से हाजी सुहैल सिद्दीकी, कोटाबाग-कालाढूंगी से नंदन दुर्गापाल, बेतालघाट और गरमपानी-सुयालबाड़ी से भुवन तिवारी, मालधन-रामनगर ब्लॉक से तारा नेगी, लालकुआं-बिंदुखत्ता से संजय किरौला, हल्दूचौड़ से दीप पाठक, ओखलकांडा से केदार पलड़िया, भीमताल ब्लॉक से महेश कांडपाल और खुर्पाताल से मयंक भट्ट को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जिलाध्यक्ष ने बताया कि जल्द ही सभी प्रभारी अपने-अपने क्षेत्रों का दौरा करेंगे और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित कर रणनीति तैयार करेंगे। इस कवायद का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ संगठन को पंचायत चुनाव के लिए तैयार करना है, बल्कि कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरना और आमजन से सीधा संवाद स्थापित करना भी है।
कांग्रेस का मानना है कि इस रणनीति से पार्टी को न केवल चुनाव में मजबूती मिलेगी, बल्कि आम जनता की समस्याओं को भी बेहतर ढंग से उठाया जा सकेगा। छिम्वाल ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस कार्यकर्ता अब केवल चुनावी समय में नहीं, बल्कि नियमित रूप से लोगों के बीच रहकर उनकी समस्याएं सुनेंगे और पार्टी की नीतियों से उन्हें अवगत कराएंगे। इस कदम को कांग्रेस की पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियों की अहम कड़ी माना जा रहा है, जिससे वह ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी राजनीतिक पकड़ को फिर से मजबूत करना चाहती है।