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UP News: जरौली गौशाला में अव्यवस्थाओं का आलम, सूखा भूसा खाकर मरने को मजबूर बेजुबान

गौवंश संरक्षण के लिए करोड़ों की लागत से गौशालाओं का निर्माण कराया गया है, लेकिन हकीकत में स्थिति बेहद दयनीय है। सबसे भयावह स्थिति तब सामने आई जब गौशाला में एक मृत गाय सड़ती हुई पाई गई। गाय के शव को चील और कौए नोच-नोचकर खा रहे थे और उसकी दुर्गंध पूरे क्षेत्र में फैल रही थी।
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UP News: जरौली गौशाला में अव्यवस्थाओं का आलम, सूखा भूसा खाकर मरने को मजबूर बेजुबान

फतेहपुर: प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम सभाओं में गौवंश संरक्षण के लिए करोड़ों की लागत से गौशालाओं का निर्माण कराया गया है, लेकिन हकीकत में स्थिति बेहद दयनीय है। असोथर ब्लॉक की जरौली ग्रामसभा के देईमऊ स्थित गौशाला में लापरवाही और अव्यवस्था का ऐसा आलम देखने को मिला जिसने सरकारी दावों की पोल खोल दी।

मूलभूत व्यवस्थाएं पूरी तरह नदारद

गौशाला में सिर्फ 82 गौवंश हैं, जिन्हें केवल सूखा भूसा खिलाया जा रहा है। हरा चारा, दाना, पशु आहार और शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं पूरी तरह नदारद हैं। पशुओं के स्वास्थ्य की नियमित जांच का भी कोई इंतजाम नजर नहीं आया। गौशाला में पांच कर्मचारी मौजूद तो थे, लेकिन हालात उनके नियंत्रण से बाहर दिखे। सबसे भयावह स्थिति तब सामने आई जब गौशाला में एक मृत गाय सड़ती हुई पाई गई। गाय के शव को चील और कौए नोच-नोचकर खा रहे थे और उसकी दुर्गंध पूरे क्षेत्र में फैल रही थी। गौशाला सड़क किनारे होने से राहगीरों को भी दुर्गंध के कारण भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। शव की हालत देखकर यह स्पष्ट है कि गाय कई दिनों से मृत पड़ी है।

गाय तीन दिन पहले मर गई…

गौसंरक्षक नरेंद्र ने बताया कि गाय तीन दिन पहले मर गई थी और इसकी सूचना ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राम लखन निषाद को दे दी गई थी, लेकिन अब तक शव का विसरा संरक्षित नहीं कराया गया। “हमने अपनी जिम्मेदारी निभाई, लेकिन जब आगे कार्रवाई ही नहीं हो रही तो हम क्या कर सकते हैं।”वहीं प्रधान प्रतिनिधि राम लखन निषाद से फोनिक वार्ता करने का प्रयास किया गया तो फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। जब इस मामले में ग्राम पंचायत अधिकारी बीरेंद्र कुमार निषाद से सवाल किया गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा, “इसकी जानकारी हमें नहीं थी, लेकिन अब तुरंत मौके पर जाकर जांच कराई जाएगी। मृत गाय के शव को संरक्षित करवाया जाएगा।”

ग्राम पंचायत की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर गौवंश संरक्षण के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते न तो पशुओं को पर्याप्त आहार मिल रहा है और न ही उनकी सही देखरेख। मृत गाय की दुर्गंध और कुप्रबंधन ने ग्राम पंचायत की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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