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लखनऊ कोर्ट ने CBI के मामले में सत्य नारायण प्रसाद और शाहनवाज आलम को सरकारी खजाने में करोड़ों के नुकसान के लिए दोषी ठहराया। दोनों को 10 साल की जेल और 55,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। सत्येंद्र सिंह गंगवार को बरी किया गया।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन
Lucknow: लखनऊ कोर्ट ने 11 दिसंबर 2025 को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (CBI) द्वारा दर्ज सुपरफिशियल धोखाधड़ी मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने सत्य नारायण प्रसाद पटेल और शाहनवाज आलम को सरकारी खजाने को एक करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुँचाने के आरोप में 10 साल की सज़ा (RI) और कुल 55,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
जांच पूरी होने के बाद 10 नवंबर 2010 को CBI ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। आरोपियों में सत्येंद्र सिंह गंगवार, उस समय के चीफ फाइनेंस एंड अकाउंट्स ऑफिसर, DRDA बलिया, सत्य नारायण प्रसाद पटेल, ग्राम प्रधान, शाहनवाज आलम, कोटेदार शामिल थे। चार्जशीट में आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने नकली दस्तावेज़ बनाकर सरकारी खजाने से अवैध धन और अनाज प्राप्त किया।
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लखनऊ कोर्ट ने ट्रायल के बाद सत्य नारायण प्रसाद पटेल और शाहनवाज आलम को दोषी ठहराया। कोर्ट ने दोनों को 10 साल की कठोर सजा और 55,000 रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने साफ किया कि सजा का उद्देश्य न केवल दोषियों को दंडित करना है बल्कि भविष्य में सरकारी खजाने के खिलाफ होने वाले धोखाधड़ी मामलों के लिए एक संदेश देना भी है। दूसरी ओर सत्येंद्र सिंह गंगवार को कोर्ट ने उन पर लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया।
संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और विकास करना था। इस मामले में आरोपियों ने नकली दस्तावेज़ तैयार करके योजना के तहत मिलने वाले अनाज और नकद लाभ का गलत लाभ उठाया। CBI ने इसे गंभीर मामला मानते हुए जांच शुरू की और दोषियों को न्यायालय में पेश किया।
इस प्रकार की धोखाधड़ी न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाती है बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी ग्रामीण जनता को प्रभावित करती है। नकली दस्तावेज़ और कोटेदारों द्वारा अवैध लाभ उठाना योजना के उद्देश्य को विफल करता है। CBI ने पूरे मामले की जांच करते हुए सभी साक्ष्यों को कोर्ट में पेश किया।
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लखनऊ कोर्ट के फैसले ने स्पष्ट कर दिया कि सरकारी योजनाओं और खजाने के खिलाफ अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को कानूनी ढांचे के तहत कड़ी सजा दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी केवल दोषियों को ही नहीं प्रभावित करती, बल्कि आम जनता पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।