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दिवाली के जश्न में शराब प्रेमियों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 19 से 24 अक्टूबर के बीच महज छह दिनों में जिले में 6 करोड़ 71 लाख रुपये की शराब बिकी। इसमें सबसे ज्यादा बिक्री देशी शराब की रही, जबकि अंग्रेजी शराब ने रौनक बढ़ाई।
छह दिन में गटक गए 6.71 करोड़ की मदिरा
Raebareli: रायबरेली में इस बार दिवाली का जश्न जाम के साथ दोगुना हो गया। त्योहार के मौसम में जिलेभर में शराब की बिक्री ने अब तक के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। आबकारी विभाग के अनुसार, 19 अक्टूबर से 24 अक्टूबर के बीच सिर्फ 6 दिनों में 6 करोड़ 71 लाख रुपये की शराब बिकी। विभाग ने भी माना कि यह बिक्री उम्मीद से कहीं ज्यादा रही।
फेस्टिव सीजन में हर बार की तरह इस बार भी देशी शराब ने बिक्री के मामले में सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 3 करोड़ 78 लाख रुपये की देशी शराब की बिक्री हुई। ग्रामीण इलाकों में देशी शराब की मांग हमेशा अधिक रहती है क्योंकि यह सस्ती और आसानी से उपलब्ध होती है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, त्योहार से पहले गांवों में देशी शराब के ठेकों पर भारी भीड़ देखी गई थी।
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दिवाली के उत्सव में सिर्फ देशी शराब ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी शराब और बीयर की बिक्री ने भी शानदार प्रदर्शन किया। इस दौरान रायबरेली में 1 करोड़ 90 लाख रुपये की अंग्रेजी शराब बिकी। वहीं, ठंड की शुरुआत के बावजूद बीयर प्रेमियों ने भी पीछे नहीं रहते हुए 1 करोड़ 3 लाख रुपये की बीयर खरीद डाली।
आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि त्योहार के दौरान बिक्री में वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन 6.71 करोड़ रुपये की कुल बिक्री ने उन्हें भी चौंका दिया। विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल दिवाली सीजन में बिक्री का आंकड़ा करीब 4.8 करोड़ रुपये था, जबकि इस बार यह लगभग 40 प्रतिशत ज्यादा रहा।
आबकारी अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि इस बार फेस्टिव सीजन में शराब की बिक्री बंपर रही। विभाग को इतनी बड़ी बिक्री की उम्मीद नहीं थी। जिले के सभी इलाकों में शराब की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
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रायबरेली के ग्रामीण अंचलों में देशी शराब की खपत में भारी इजाफा देखने को मिला। गांवों के ठेकों पर सुबह से शाम तक लंबी कतारें लगी रहीं। वहीं, शहरी इलाकों में बीयर और अंग्रेजी शराब के शोरूम में भी ग्राहकों की भीड़ उमड़ती रही। शहर के प्रमुख शराब ठेकों के संचालकों ने बताया कि दिवाली से पहले ही कई ब्रांड की बीयर और विदेशी शराब की स्टॉकिंग करनी पड़ी थी, फिर भी कुछ ब्रांड जल्दी खत्म हो गए।
आबकारी विभाग के लिए यह बंपर बिक्री राजस्व के लिहाज से बेहद फायदेमंद साबित हुई। अनुमान है कि इस बिक्री से विभाग को कर और शुल्क के रूप में लाखों रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई है। विभाग का कहना है कि फेस्टिव सीजन में बढ़ती खपत के चलते सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी भी बढ़ाई गई थी ताकि अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाई जा सके।
जहां एक ओर बिक्री का आंकड़ा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, वहीं आबकारी टीमों ने अवैध शराब और मिलावटी मदिरा की रोकथाम पर भी विशेष ध्यान दिया। डीएम के निर्देश पर आबकारी और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमों ने कई जगह छापेमारी की और संदिग्ध स्थलों की जांच की। अधिकारियों ने बताया कि त्योहारों के समय अवैध कारोबार बढ़ने की संभावना रहती है, इसलिए लगातार निगरानी की जा रही थी।