

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशभर के 5,000 सरकारी स्कूलों को बंद किए जाने के फैसले का विरोध तेज होता जा रहा है। प्रतापगढ़ जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के खिलाफ पैदल मार्च निकाला है
सरकारी स्कूल बंद करने के फैसले पर बवाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशभर के 5,000 सरकारी स्कूलों को बंद किए जाने के फैसले का विरोध तेज होता जा रहा है। प्रतापगढ़ जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के खिलाफ पैदल मार्च निकाला और जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया। यह विरोध प्रदर्शन पिछड़ा वर्ग विभाग के जिला अध्यक्ष राजेंद्र वर्मा के नेतृत्व में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन भी जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा। कांग्रेस जिलाध्यक्ष डॉ. नीरज त्रिपाठी ने इस मौके पर कहा कि सरकार का यह कदम गरीब, किसान और मजदूर परिवारों के बच्चों की शिक्षा के अधिकार पर हमला है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा के क्षेत्र में यह एक खतरनाक फैसला है जो समाज के निचले तबके को हाशिए पर धकेलेगा।
सरकारी स्कूल बंद करने के फैसले पर बवाल
राजेंद्र वर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और मजदूर वर्ग के बच्चों की पढ़ाई पर प्रहार कर रही है। "जब बच्चों को स्कूल मिलना चाहिए, तब सरकार उन्हें बंद कर रही है। यह फैसला न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक है बल्कि सामाजिक न्याय के खिलाफ भी है,"
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार सरकारी शिक्षा प्रणाली को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे फैसलों से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए और प्रदेश सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि शिक्षा का अधिकार संविधान प्रदत्त है, और सरकार को इसका हनन करने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे और सड़क से सदन तक संघर्ष करेंगे।