

जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जिला महिला चिकित्सालय और पुरुष चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी ने मरीजों, खासकर गर्भवती महिलाओं की परेशानी कई गुना बढ़ा दी है। जिन अस्पतालों में हर दिन सैकड़ों मरीज उम्मीद लेकर पहुंचते हैं, वहीं बुनियादी जांच सेवाओं के लिए उन्हें घंटों इंतजार या खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
जिला अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड सेवाएं ठप
Barabanki: जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जिला महिला चिकित्सालय और पुरुष चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी ने मरीजों, खासकर गर्भवती महिलाओं की परेशानी कई गुना बढ़ा दी है। जिन अस्पतालों में हर दिन सैकड़ों मरीज उम्मीद लेकर पहुंचते हैं, वहीं बुनियादी जांच सेवाओं के लिए उन्हें घंटों इंतजार या खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, महिला चिकित्सालय में प्रतिदिन बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं प्रसवपूर्व जांच और अल्ट्रासाउंड कराने पहुंचती हैं। लेकिन अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। मौजूदा हालात यह हैं कि अस्पताल की सीएमएस डॉ. प्रदीप सिंह खुद अल्ट्रासाउंड करने की जिम्मेदारी उठा रहे हैं। सीमित समय और संसाधनों के चलते वे प्रतिदिन अधिकतम 80 से 90 मरीजों की ही जांच कर पाते हैं। बाकी महिलाओं को या तो अगली तारीख दी जाती है या फिर उन्हें बाहर निजी क्लीनिक की राह पकड़नी पड़ती है, जहां उन्हें हजारों रुपये खर्च करने होते हैं।
इससे भी खराब स्थिति जिला पुरुष चिकित्सालय की है। यहां अल्ट्रासाउंड के लिए कोई स्थायी तकनीशियन नहीं है। अस्पताल में एक प्रशिक्षु लड़की अल्ट्रासाउंड कर रही है, जो अपनी सुविधानुसार काम करती है और जब चाहे छुट्टी पर चली जाती है। इसका नतीजा ये होता है कि मरीज लंबी कतारों में घंटों खड़े रहते हैं, मगर कब जांच होगी इसका कोई भरोसा नहीं होता।
इस स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था से आम जनता में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि जब जिला स्तर पर ही ऐसी दुर्दशा है, तो ग्रामीण इलाकों की हालत की कल्पना भी भयावह है। कई मरीजों ने बताया कि उन्हें बार-बार लौटना पड़ता है और निजी केंद्रों पर जांच कराना मजबूरी बन चुकी है। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह एक बड़ी आर्थिक मार है।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके उलट है। अब लोग सवाल कर रहे हैं कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर कब ध्यान देंगे?
जनता की एक ही मांग है—कि अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से की जाए। गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों को समय पर उचित जांच और इलाज मिलना उनका हक है, न कि एक लंबा इंतजार या प्राइवेट सेंटरों की मजबूरी।
यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह लापरवाही भविष्य में और भी बड़े स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकती है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए यह चेतावनी है, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।