

मेले में धार्मिक आस्थाओं के साथ हो रहा खिलवाड़ का मामला सामने आया है। जिससे वहां के स्थानीय लोगों दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
श्री श्री 108 नले वाले बाबा मंदिर परिसर में आयोजित बैसाखी मेला ( सोर्स - रिपोर्टर )
मुरादाबाद: जनपद के ठाकुरद्वारा क्षेत्र के सूरज नगर स्थित प्रसिद्ध श्री श्री 108 नले वाले बाबा मंदिर परिसर में आयोजित बैसाखी मेले में अश्लीलता परोसने का मामला सामने आया है। मेले में बार बालाओं से अश्लील डांस करवाने को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखा गया। मामले की शिकायत मिलने के बाद मुरादाबाद पुलिस ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, बताया जा रहा है कि हर वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर परिसर में पारंपरिक बैसाखी मेला आयोजित किया गया था, जो धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार मेले में आयोजकों द्वारा बार बालाएं बुलाकर मंच पर अश्लील डांस करवाया गया, जिससे धार्मिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुंची और स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हुईं।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही माहौल गर्मा गया। लोगों ने इसे धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए थाना ठाकुरद्वारा में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल जांच शुरू कर मेला आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की।
मंदिर परिसर में अश्लील डांस ( सोर्स - रिपोरटर )
पुलिस ने मेला कमेटी के अध्यक्ष सुनील, सदस्य संजीव और मेला ठेकेदार जावेद के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। ठाकुरद्वारा थाना प्रभारी के अनुसार, जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि आयोजन की अनुमति धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर ली गई थी, लेकिन वास्तविकता में आयोजकों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक मंच पर अश्लील कार्यक्रम करवाया।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि मंदिर परिसर में ऐसा कार्यक्रम पहली बार देखा गया, जिससे क्षेत्र की छवि को नुकसान पहुंचा है। लोगों ने मांग की है कि आगे से ऐसे आयोजनों पर कड़ी निगरानी रखी जाए ताकि धार्मिक आयोजनों की पवित्रता बनी रहे।
पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। यह घटना एक बार फिर से धार्मिक स्थलों पर हो रहे आयोजनों की निगरानी और अनुमति प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।