मथुरा के गोवर्धन का देवसेरस गांव साइबर ठगी का नया ‘मिनी जामताड़ा’ बन चुका है, जहां 70% आबादी ठगी में संलिप्त मानी जाती है। पुलिस ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए 42 आरोपियों को हिरासत में लिया, जबकि 120 ठग फरार हो गए। दो दशक से सक्रिय टटलू गिरोह अब डिजिटल साइबर फ्रॉड में बदल चुका है।

देवसेरस में जांच करती पुलिस
Mathura: मथुरा का गोवर्धन, जहां कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण के चरण बसते हैं, आज ठगी के एक बड़े केंद्र के रूप में बदनाम हो गया है। बीते दो दशकों में यहां के देवसेरस, मोडसेरस, मंडौरा और नगला मेव जैसे गांव साइबर ठगी और पारंपरिक धोखाधड़ी के अड्डे बन चुके हैं। गुरुवार सुबह पुलिस ने देवसेरस गांव पर जब बड़ी कार्रवाई की, तो पूरा इलाका थर्रा उठा। नींद में डूबे ग्रामीणों ने अचानक खेतों की पगडंडियों पर भारी कदमों की आवाज सुनी और पल भर में गांव चारों ओर से पुलिस से घिर गया।
दरअसल, गोवर्धन क्षेत्र में टटलू गिरोह पिछले 20 वर्षों से सक्रिय है। शुरू में यह गिरोह पीतल को सोना बताकर लोगों को सस्ते सौदे का झांसा देता था और रास्ते में उन्हें लूट लेता था। कभी लिफ्ट लेकर लोगों को जंगलों में ले जाकर बंधक बनाता और फिरौती मांगता था। इनका मुख्य निशाना बाहरी राज्यों से आए कारोबारी और बिल्डर होते थे।
देवसेरस गांव इस पूरे नेटवर्क का मुख्य केंद्र है। माना जाता है कि गांव के लगभग 70 प्रतिशत लोग सीधे या परोक्ष रूप से ठगी के धंधे में शामिल हैं। इनमें बड़ी संख्या मेव समुदाय के युवाओं की है। गांव के एक स्थानीय युवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां पिछले 20 सालों से टटलूबाजी की परंपरा चली आ रही है। साइबर ठगी सिर्फ पिछले 4-5 साल में तेज हुई है। बेरोजगारी अधिक है, इसलिए युवा इस रास्ते पर चले जाते हैं।’
गुरुवार सुबह मथुरा पुलिस ने देवसेरस गांव पर अब तक की सबसे गोपनीय और बड़ी कार्रवाई की। इस अभियान में चार आईपीएस अधिकारी, चार सीओ, 26 इंस्पेक्टर और लगभग 400 पुलिसकर्मी व पीएसी जवान शामिल थे। पुलिस ने वाहनों को गांव से दूर छोड़ा और टीम खेतों के रास्तों से अचानक गांव में दाखिल हुई ताकि किसी को भनक न लगे। जैसे ही रेड शुरू हुई, गांव में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने 42 लोगों को हिरासत में लिया, जबकि लगभग 120 आरोपी फरार हो गए। इनमें से कई हरियाणा और राजस्थान की ओर भाग निकले, क्योंकि देवसेरस गांव से राज्य की सीमा पार करने में केवल एक मिनट लगता है।
गांव के आसपास के क्षेत्रों में भी लंबे समय से ठगी का समानांतर नेटवर्क सक्रिय है। लेकिन पूरे नेटवर्क का नियंत्रक केंद्र देवसेरस ही माना जाता है। यही कारण है कि इसे उत्तर भारत का मिनी जामताड़ा कहा जाने लगा है। यहां का सिस्टम झारखंड के कुख्यात जामताड़ा मॉडल से मिलता-जुलता है।
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मथुरा पुलिस का यह ऑपरेशन इस बात का संकेत है कि अब प्रशासन इस साइबर ठगी नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने की तैयारी में है। अधिकारियों के अनुसार, जो आरोपी पकड़े गए हैं, उनके मोबाइल और बैंक डिटेल्स से पूरे गैंग का नेटवर्क उजागर होगा। पुलिस का दावा है कि इस कार्रवाई के बाद पड़ोसी राज्यों से भी कई अहम जानकारी मिल सकती है। आने वाले दिनों में और भी छापेमारी होगी।