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महराजगंज में प्रसूता की मौत के मामले में जिला प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते हुए आजाद नगर वार्ड नंबर 15, चौक रोड स्थित श्री ठाकुर जी आरोग्यम हॉस्पिटल को बंद कर दिया है। यह कार्रवाई एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार, स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी वीरेंद्र आर्या एवं सीओ सदर जय प्रकाश तिवारी की मौजूदगी में की गई।
उपजिलाधिकारी सदर जितेंद्र कुमार
Maharajganj: महराजगंज में इलाज के दौरान लापरवाही और प्रसूता की दर्दनाक मौत के मामले में जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए नगर के आजाद नगर वार्ड नंबर 15, चौक रोड स्थित श्री ठाकुर जी आरोग्यम हॉस्पिटल को सील कर दिया है। यह कार्रवाई उपजिलाधिकारी सदर जितेंद्र कुमार, स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी वीरेंद्र आर्या एवं सीओ सदर जय प्रकाश तिवारी की मौजूदगी में की गई। अस्पताल को लॉक किए जाने के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रसूता को प्रसव के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां ऑपरेशन के दौरान गंभीर लापरवाही बरते जाने का आरोप है। परिजनों का कहना है कि समय रहते न तो विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध कराए गए और न ही आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई गईं, जिसके चलते महिला की मौत हो गई। घटना के बाद आक्रोशित परिजनों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन हरकत में आया और प्राथमिक जांच के बाद अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। अधिकारियों ने अस्पताल के दस्तावेज, पंजीकरण, चिकित्सकीय मानकों और ऑपरेशन से जुड़े अभिलेखों की जांच शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा यह भी देखा जा रहा है कि अस्पताल के पास मान्य लाइसेंस, प्रशिक्षित स्टाफ और आवश्यक संसाधन थे या नहीं।
एसडीएम सदर जितेंद्र कुमार ने बताया कि मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले निजी अस्पतालों पर प्रशासन की नजर है और नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
फिलहाल जिला प्रशासन आगे की कार्रवाई में जुटा है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट व जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर अगली कानूनी प्रक्रिया तय की जाएगी। इस घटना ने एक बार फिर निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।