महराजगंज में मंडी सचिव की राइस मिलों पर छापेमारी से मिल संचालकों में आक्रोश है। राइस मिल एसोसिएशन ने कार्रवाई को एकतरफा और उत्पीड़नपूर्ण बताते हुए जिलाधिकारी से निष्पक्ष जांच की मांग की है। मिलरों के अनुसार इससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।

जिलाधिकारी कार्यालय महराजगंज
Maharajganj: महराजगंज जनपद में मंडी सचिव द्वारा राइस मिलों पर की गई छापेमारी और निरीक्षण की कार्रवाई को लेकर राइस मिल उद्योग में असंतोष गहराता जा रहा है। इस कार्रवाई को एकतरफा और उत्पीड़नपूर्ण बताते हुए राइस मिल एसोसिएशन ने जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा से मुलाकात कर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मिलरों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाइयों से न केवल उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है, बल्कि प्रशासन और उद्योग के बीच विश्वास की खाई भी बढ़ रही है।
राइस मिल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष शचींद्र कुमार गुप्ता उर्फ गुड्डू के नेतृत्व में जिले के विभिन्न राइस मिल संचालक और पदाधिकारी कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि 16 और 17 दिसंबर को मंडी सचिव के नेतृत्व में कई राइस मिल परिसरों का औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान बिना पर्याप्त आधार के मिलों में उपलब्ध चावल और धान का स्टॉक अधिक दिखाते हुए नोटिस जारी कर दिए गए।
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मिल संचालकों का आरोप है कि निरीक्षण के समय वास्तविक अभिलेखों, स्टॉक रजिस्टर और सरकारी पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों का मिलान ठीक से नहीं किया गया। उनका कहना है कि जो स्टॉक मिलों में दर्शाया गया, वह वास्तविकता से मेल नहीं खाता। इसके चलते उन्हें अनावश्यक रूप से जवाब देने और स्पष्टीकरण देने के लिए विवश किया जा रहा है, जिससे मानसिक तनाव और आर्थिक नुकसान दोनों हो रहे हैं।
राइस मिलरों ने यह भी स्पष्ट किया कि जनपद की सभी राइस मिलें शासन की धान क्रय एवं कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) योजना के अंतर्गत पूरी जिम्मेदारी के साथ कार्य कर रही हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को निर्धारित लक्ष्य के अनुसार चावल का समर्पण लगातार किया जा रहा है। इसके बावजूद इस तरह की छापेमारी से ऐसा संदेश जा रहा है, मानो मिल संचालक नियमों का उल्लंघन कर रहे हों, जो उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।
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एसोसिएशन का कहना है कि मंडी सचिव द्वारा बार-बार बिना पूर्व सूचना के निरीक्षण किए जा रहे हैं और अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। इससे मिलों का नियमित संचालन प्रभावित हो रहा है और मजदूरों से लेकर ट्रांसपोर्टरों तक, पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ रहा है। मिल संचालकों का यह भी कहना है कि यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो उसके लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, न कि डर और दबाव के माहौल में।
मिलरों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष और तकनीकी जांच कराई जाए, जिसमें संबंधित विभागों के अभिलेखों का मिलान किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया कि भविष्य में इस तरह की एकतरफा कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे इस मामले को शासन स्तर तक, यहां तक कि मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठाने को मजबूर होंगे।