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Maharajganj Post Office Scam: पोस्ट ऑफिस में ₹9.5 लाख का घोटाला, आरोपी मनोज विश्वकर्मा निलंबित, FIR की तैयारी

गबन के मामले में पोस्ट ऑफिस में कार्यरत कर्मचारी की सस्पेंड कर दिया गया है। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर पूरी खबर
Post Published By: Rohit Goyal
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Maharajganj Post Office Scam: पोस्ट ऑफिस में ₹9.5 लाख का घोटाला, आरोपी मनोज विश्वकर्मा निलंबित, FIR की तैयारी

महराजगंज: जिले के बृजमनगंज पोस्ट ऑफिस में एक बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। यहां कार्यरत कर्मचारी मनोज कुमार विश्वकर्मा को पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस (PLI) और ग्रामीण पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस (RPLI) योजनाओं में ₹9.5 लाख के गबन का दोषी पाया गया है। इस गंभीर अनियमितता की पुष्टि होते ही गोरखपुर मंडल के प्रवर अधीक्षक डाकघर द्वारा आरोपी कर्मचारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार डाक विभाग के मैन्युअल नियम 176A के अनुसार, 5000 से अधिक की राशि के गबन के मामलों में संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज किया जाना अनिवार्य है।
इसी नियम के तहत, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विभाग जल्द ही मनोज कुमार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है।

इसके साथ ही, प्रवर अधीक्षक ने गबन की गई राशि की वसूली सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मनोज विश्वकर्मा के सभी बैंक खातों को फ्रीज़ करने का निर्देश पोस्टमास्टर महराजगंज को दिया है। विभाग द्वारा यह कदम न केवल रिकवरी की दिशा में उठाया गया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए है कि आरोपी द्वारा किसी भी प्रकार की संपत्ति या धन को इधर-उधर न किया जा सके।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्राथमिक जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद विभाग अब मनोज कुमार द्वारा अन्य योजनाओं में किए गए कार्यों की भी जांच कराने जा रहा है। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि यदि किसी अन्य योजना में भी गड़बड़ी की गई हो, तो वह भी सामने आ सके और दोषी को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जा सके।

इस पूरे मामले ने डाक विभाग के कर्मचारियों में भय और चर्चा का माहौल पैदा कर दिया है। प्रवर अधीक्षक डाकघर, बी.के. पाण्डेय ने सख्त लहजे में कहा कि, “डाक विभाग की मूल भावना जन सेवा है। यदि कोई कर्मचारी इस भावना से हटकर कार्य करता है, तो उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। विभाग में अनुशासन और पारदर्शिता सर्वोपरि है।

यह मामला न केवल विभागीय पारदर्शिता की परीक्षा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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