Maharajganj News: जिलाधिकारी का ड्रीम प्रोजेक्ट अंधेरे में! तिरंगा और स्ट्रीट लाइट का मेन बॉक्स जला

कोल्हुई में जिलाधिकारी का महत्वाकांक्षी तिरंगा और स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट चार महीने में ठप हो गए हैं। मेन बॉक्स जलने से कस्बा अंधेरे में डूबा हुआ है, जिससे प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 June 2025, 10:28 AM IST
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Maharajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के अंतर्गत कोल्हुई कस्बे में जिलाधिकारी का महत्वाकांक्षी ड्रीम प्रोजेक्ट, जिसका उद्देश्य कस्बे को हाइटेक बनाना था, वो मात्र चार महीने में ही अंधेरे में डूब गया। लाखों रुपये की लागत से लगाई गई तिरंगा और स्ट्रीट लाइट्स का मेन बॉक्स जल जाने से पूरा प्रोजेक्ट ठप हो गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस साल 25 मार्च को धूमधाम से उद्घाटन के बाद यह लाइट्स 25 जून से बंद पड़ी हैं, जिससे कस्बे की सड़कों पर अंधेरा छाया हुआ है।

नगर पालिका की तर्ज पर बनी थी योजना

जानकारी के अनुसार, महराजगंज के जिलाधिकारी ने नगर पालिका की तर्ज पर कोल्हुई को आधुनिक और सुंदर बनाने के लिए यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। तिरंगा लाइट्स और स्ट्रीट लाइट्स की चमक से कस्बे को नया रंग-रूप देने का सपना देखा गया था। इस प्रोजेक्ट में उच्च गुणवत्ता वाली लाइट्स और आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया, जिसकी लागत लाखों रुपये थी। उद्घाटन के समय इसे कस्बे के विकास में मील का पत्थर बताया गया, लेकिन चार महीने से भी कम समय में तकनीकी खराबी ने इसकी चमक फीकी कर दी।

जिम्मेदारों ने किया दावा

वहीं मेन बॉक्स के जलने के बाद से ही कस्बे में अंधेरा पसरा है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। रात के समय सड़कों पर आवागमन में दिक्कत हो रही है। जबकि, जिम्मेदार अधिकारियों का दावा है कि 29 जून 2025 तक लाइट्स को ठीक कर लिया जाएगा। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट में इतनी जल्दी खराबी उठने से प्रबंधन और गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या हैं आगे की चुनौतियां?

बता दें कि इस प्रोजेक्ट की विफलता ने जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि अगर समय पर रखरखाव और गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता, तो आज यह स्थिति नहीं आती। अब सभी की नजरें 29 जून पर टिकी हैं, जब जिम्मेदारों ने लाइट्स ठीक करने का वादा किया है। गौरतलब है कि ये लाइटें जून माह की 25 तारीख से ही बंद हैं, जिससे कस्बे में अंधेरा छाया हुआ है और स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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