Kumaon News: सुशीला तिवारी अस्पताल के उपनल कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार, रोगी बेहाल

कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल डॉ. मुलायमा तिवारी हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों ने कार्य का बहिष्कार कर दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 9 June 2025, 6:40 PM IST
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कुमाऊं :  कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल डॉ. मुलायमा तिवारी हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में सोमवार को उस समय सुपरमार्केट-अमेरिकन मच गया जब हॉस्पिटल में टूल्स उपनल (यूपीएनएल) के कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया। अपने शेयरधारकों को लेकर कर्मचारियों ने अस्पताल प्रबंधन और सरकार के खिलाफ मजबूत गठबंधन की घोषणा की और कहा कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, बताया जा रहा है कि पिछले लंबे समय से करीब 700 से ज्यादा उपनल कर्मचारी अस्पताल में अपने कॉलेज, वार्ड बॉय, टेक्निशियन, क्लर्क आदि शामिल हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि वह 20 साल से ज्यादा समय से सेवा दे रहे थे, लेकिन आज तक उन्हें स्थायीकरण नहीं दिया गया। यही नहीं, पिछले चार महीनों से वेतन भी नहीं मिला, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो गया है।

कर्मचारियों ने यह भी कहा कि कोविड काल में जब लोग घरों में थे, तब उन्होंने कर्मचारियों की नौकरी में जान जोखिम में डाल दी। फिर भी, उन्हें सरकार और प्रबंधन की तरफ से केवल पासपोर्ट ही मिला। अब जब कि उनकी उम्र करीब आ रही है, तब भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

स्टाफ नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि तीन दिन के अंदर उनकी मैग्जीन पूरी तरह से गायब नहीं हुई, तो मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सभी उपनल कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद जो भी मंदी या संकट पैदा होगा, उसकी ज़िम्मेदारी प्रशासन की होगी।

यह पूरा मामला मेडिकल मेडिकल कॉलेज की कार्यशाला डॉ. पर है। अरुण जोशी ने बताया कि कर्मचारियों का वेतन शासन स्तर पर बजट न मिलने के कारण रुका हुआ है। उनके पद अब तक सृजित नहीं रहे हैं, जिसके कारण भुगतान में बाधा आ रही है। शासन स्तर पर प्रक्रिया चल रही है और जैसे ही बजट असेंबल होगा, वेतन जारी किया जाएगा।

अस्पताल में आने वाले को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर और उनके साथी का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं के कार्यालय से गंभीर स्थिति पैदा हो रही है।

स्टाफ़ आंदोलन के इस मिर्ज़ाते घटनाक्रम पर अब आलमारी नज़रें शासन और प्रशासन के फैसले पर टिकी हैं।

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