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गोरखपुर में मर्डर के 17 साल बाद मिला इंसाफ, दो आरोपियों को 10-10 साल की सजा, “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत न्याय की बड़ी जीत

गोरखपुर के सहजनवां थाना क्षेत्र में 2008 में हुई गैर इरादतन हत्या के केस में अदालत ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए दो अभियुक्तों को 10-10 साल के कठोर कारावास और 25,000-25,000 रुपये जुर्माने की सजा दी है। यह फैसला उत्तर प्रदेश पुलिस के "ऑपरेशन कनविक्शन" की एक और बड़ी सफलता है, जिसमें पुलिस और अभियोजन पक्ष की सक्रिय भूमिका रही। यह सजा साबित करती है कि अपराध चाहे जितना भी पुराना हो, कानून से कोई नहीं बच सकता।
Post Published By: Mayank Tawer
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गोरखपुर में मर्डर के 17 साल बाद मिला इंसाफ, दो आरोपियों को 10-10 साल की सजा, “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत न्याय की बड़ी जीत

Gorakhpur News: गोरखपुर जनपद के थाना सहजनवां क्षेत्र में वर्ष 2008 में हुई गैर इरादतन हत्या के एक लंबे समय से लंबित मामले में आखिरकार न्यायालय का फैसला सामने आ गया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (ASJ/PC-1) की अदालत ने दो अभियुक्तों श्याम दयाल और रामप्री तको दोषी करार देते हुए उन्हें 10-10 वर्षों के कठोर कारावास और 25,000-25,000 रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया है।

17 साल पुराना था मामला

यह मामला वर्ष 2008 में मुकदमा अपराध संख्या 2409/2008, धारा 352, 504 और 304 भारतीय दंड संहिता के तहत थाना सहजनवां में दर्ज हुआ था। अभियुक्तों पर आरोप था कि उन्होंने एक व्यक्ति के साथ पहले गाली-गलौज की, फिर मारपीट और गंभीर हमले को अंजाम दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। घटना के बाद मामला न्यायालय में लंबित रहा, लेकिन लगातार पैरवी और पुलिस की सक्रियता के चलते अब इस पर अंतिम निर्णय आया है।

“ऑपरेशन कनविक्शन” बना निर्णायक ताकत

इस निर्णय को उत्तर प्रदेश पुलिस के “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान की एक और सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य लंबित गंभीर अपराधों में शीघ्र न्याय दिलवाना है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर के निर्देशन में विवेचक उपनिरीक्षक शिवशंकर तिवारी, थाना सहजनवां के पैरोकारों, और मॉनिटरिंग सेल ने इस केस को गंभीरता से लिया और अदालत में ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किए।

ADGC की भूमिका रही अहम

अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त जिला सरकारी अधिवक्ता (ADGC) शरदेन्दु प्रताप नारायण सिंह ने इस केस में बेहद मजबूत और सटीक पैरवी की। उनकी कानूनी दक्षता और तैयारी ने मामले को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाया और अंततः अभियुक्तों को सजा दिलवाने में सफलता पाई।

कानून से बच नहीं सकता कोई

यह फैसला साफ संदेश देता है कि अपराध चाहे कितना ही पुराना क्यों न हो, कानून की पकड़ से कोई नहीं बच सकता। गोरखपुर पुलिस और अभियोजन की संयुक्त कार्यवाही ने यह साबित कर दिया कि साक्ष्य आधारित, निष्पक्ष और निरंतर पैरवी से न्याय की राह प्रशस्त होती है। यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए भी न्याय की उम्मीद को पुनर्जीवित करने वाला है।

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