

गोरखपुर में 15 अगस्त 2025 को 78वां स्वतंत्रता दिवस पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। शहर के चौराहे, गलियां, स्कूल और कॉलेज तिरंगे की रोशनी में नहाए दिखे। स्कूली बच्चों की प्रभात फेरी, देशभक्ति गीत, नाटक और चित्र प्रदर्शनियों ने माहौल को देशभक्ति से भर दिया।
स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस का आयोजन
Gorakhpur: गोरखपुर जिला आज 15 अगस्त 2025 को दक्षिणांचल आजादी के 78वें स्वतंत्रता दिवस के रंग में पूरी तरह डूबा हुआ है। सुबह की पहली किरण के साथ ही गलियां, चौराहे, स्कूल, कॉलेज और हर घर तिरंगे की शान से जगमगा उठा। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के चेहरों पर देशभक्ति का जोश और आजादी का गर्व साफ झलक रहा था। "भारत माता की जय", "वंदे मातरम्" और "जय हिंद" के नारों से वातावरण गूंज उठा, मानो हर दिल में स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के प्रति कृतज्ञता और देश के प्रति प्रेम उमड़ रहा हो।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सुबह की शुरुआत प्रभात फेरियों से हुई, जिसमें स्कूली बच्चे तिरंगा थामे, गीत गाते और नारे लगाते सड़कों पर निकले। उनके छोटे-छोटे कदमों में देश के लिए बड़ा जज्बा नजर आया। शहीदों के बलिदान को याद करते हुए बच्चों ने कविताएं सुनाईं, नाटक प्रस्तुत किए और पोस्टरों के माध्यम से आजादी की गाथा को जीवंत किया। बीआरसी खजनी के प्राथमिक विद्यालय विश्वनाथपुर में रामअशीष चौहान ने तिरंगा फहराकर बच्चों को देश के लिए समर्पण का संदेश दिया।
वहीं, उच्च माध्यमिक विद्यालय सरयां तिवारी में ग्राम प्रधान पुष्पा त्रिपाठी ने ध्वजारोहण कर कहा, "युवा देश का भविष्य हैं, हमें एकजुट होकर भारत को विश्वगुरु बनाना है।"
स्कूलों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन
नारायण इंटर कॉलेज रामपुर पांडेय में आयोजित समारोह में प्रधानाचार्य वास्चपति शुक्ल और प्रबंधक किरन देवी ने तिरंगा फहराया। बच्चों ने लोक नृत्य, देशभक्ति गीत और कला प्रदर्शनियों से सभी का मन मोह लिया। "जन-गण-मन" और "सारे जहां से अच्छा" की धुनों ने वातावरण को और जोशीला बना दिया। स्कूलों में बच्चों की बनाई पेंटिंग्स और पोस्टरों में स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और देश के गौरवशाली इतिहास की झलक साफ दिखाई दी।
शहर के हर कोने में तिरंगे की लहर और देशभक्ति का जज्बा देखते ही बन रहा था। बुजुर्गों की आंखों में आजादी की लड़ाई की यादें थीं, तो युवाओं के दिलों में देश को प्रगति के पथ पर ले जाने का संकल्प। समारोह के अंत में राष्ट्रगान और "भारत माता की जय" के नारों ने माहौल को ऐतिहासिक बना दिया। यह दिन न केवल आजादी का उत्सव था, बल्कि एकता, समर्पण और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक बनकर उभरा।