

सोनौली बॉर्डर पर मानव तस्करी का यह धंधा एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। नेपाल पुलिस की सक्रियता के बावजूद, भारतीय सीमा में तस्करों की पैठ चिंताजनक है।
पुलिस गिरफ्त में आरोपी
Sonauli Border: नेपाल-भारत सीमा पर स्थित सोनौली बॉर्डर एक बार फिर मानव तस्करी के गंभीर मामले को लेकर चर्चा में है। नेपाल पुलिस ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो नेपाली युवतियों को बहला-फुसलाकर भारत में तस्करी करने की साजिश रच रहे थे। गिरफ्तारियों में तीन भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल हैं, जिसने सीमावर्ती क्षेत्र में तस्करी के जाल को उजागर किया है।
सीमा पर पकड़े गए तस्कर
रूपंदेही जिले के कालिदाह गांव पालिका के पास नेपाल पुलिस ने चार संदिग्धों को उस समय पकड़ा, जब वे भारत में प्रवेश करने की फिराक में थे। गिरफ्तार आरोपियों में गीता गौड़ (38 वर्ष), नेहा पांडे (19 वर्ष), और प्रमोद कुमार धोबी, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज क्षेत्र के निवासी हैं, शामिल हैं। चौथी आरोपी निर्मला लोध नेपाल के रूपंदेही जिले की रहने वाली है। पुलिस का दावा है कि यह गिरोह नेपाली युवतियों को झांसा देकर भारत ले जाता और उन्हें अवैध धंधों में धकेलता था।
नेपाल पुलिस की सख्ती
नेपाल पुलिस ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए चारों को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। रूपंदेही जिले के डीएसपी सूरज कार्की ने बताया कि इस तस्करी नेटवर्क के तार कहां तक जुड़े हैं, इसकी गहन जांच की जा रही है। पुलिस इस गिरोह के अन्य संदिग्धों की तलाश में भी जुटी है ताकि इस गैरकानूनी धंधे को पूरी तरह खत्म किया जा सके।
बढ़ती चुनौती और समाधान की जरूरत
सोनौली बॉर्डर पर मानव तस्करी का यह धंधा एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। नेपाल पुलिस की सक्रियता के बावजूद, भारतीय सीमा में तस्करों की पैठ चिंताजनक है। भारतीय पुलिस को भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने और दोनों देशों के बीच समन्वय बढ़ाने की जरूरत है। सामाजिक जागरूकता और सख्त कानूनी कार्रवाई ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
सीमा पर बढ़ता खतरा
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के सूत्रों के अनुसार, सोनौली बॉर्डर पर मानव तस्करी का नेटवर्क फिर से मजबूत हो रहा है। नेपाली युवतियों को भारत लाकर गलत धंधों में धकेलने की घटनाएं बढ़ रही हैं। नेपाल पुलिस की सतर्कता के बावजूद, भारतीय पुलिस की ओर से इस मामले में ठोस कार्रवाई की कमी चिंताजनक है। समाज और प्रशासन को मिलकर इस गंभीर समस्या से निपटने की जरूरत है।