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बुलंदशहर में 12 साल पुराने गोकशी मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को 7-7 साल की कठोर सजा और 13,000-13,000 रुपये जुर्माने से दंडित किया है। “न्याय में देर हो सकती है, पर इनकार नहीं” यह फैसला इस कहावत को फिर से सच साबित करता है।
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Bulandshahr News: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद में 12 साल पहले घटित गोकशी (गाय की हत्या) के एक गंभीर मामले में अदालत ने आज ऐतिहासिक और निर्णायक फैसला सुनाया है। यह फैसला जिले के थाना गुलावठी कोतवाली क्षेत्र में 31 अक्टूबर 2013 को हुई एक घटना से जुड़ा है, जिसने उस समय इलाके में सनसनी फैला दी थी। अब लगभग 12 वर्षों की कानूनी प्रक्रिया और सुनवाई के बाद न्यायालय ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की कठोर सजा सुनाई है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-3 का फैसला
इस मामले की सुनवाई एडीजे तृतीय (अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-3) वरुण मोहित निगम की अदालत में की गई। अदालत ने चारों आरोपियों साबू, कल्लू, बिलाल और मुंशी को भारतीय दंड संहिता और गोवध निषेध कानून की संबंधित धाराओं के तहत दोषी करार दिया। सजा के तौर पर प्रत्येक दोषी को 7 साल की कठोर कारावास और 13,000 रुपये का आर्थिक दंड भुगतने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा यदि वे जुर्माना अदा नहीं करते हैं तो उन्हें अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ सकती है।
वर्ष 2013 की घट,ना जिसने हिला दिया था गुलावठी क्षेत्र
31 अक्टूबर 2013 को गुलावठी कोतवाली क्षेत्र में गोकशी की सूचना मिलने पर पुलिस तत्काल हरकत में आई थी। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने सबूत जुटाए और नामजद आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया। इस केस की जांच और कानूनी प्रक्रिया वर्षों तक चली। जिसमें सबूतों के अभाव, गवाहों की सुरक्षा और कानूनी जटिलताओं की चुनौती थी।
सरकारी अधिवक्ता की भूमिका रही अहम
इस केस में अतिरिक्त जिला सरकारी अधिवक्ता (एडीजीसी) विजय कुमार शर्मा की भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ केस की पैरवी की। कोर्ट में उनके द्वारा प्रस्तुत मजबूत साक्ष्य, गवाहों के बयान और तथ्यपूर्ण तर्कों के आधार पर ही अदालत चारों आरोपियों को सजा सुनाने में सफल रही।
गोकशी के खिलाफ कड़ा संदेश
यह फैसला न केवल गोकशी जैसे गंभीर अपराधों के खिलाफ कड़ा संदेश है, बल्कि यह भी साबित करता है कि कानून के हाथ लंबे हैं और न्याय भले ही देर से मिले, लेकिन मिलता जरूर है। ऐसे अपराधों को लेकर समाज में जागरूकता और सख्ती की जरूरत पर भी यह फैसला प्रकाश डालता है। फिलहाल, चारों दोषियों को जेल भेज दिया गया है और उन्हें आर्थिक दंड भरने के लिए निर्धारित समयसीमा दी गई है। अगर वे दंड नहीं चुकाते हैं तो उन्हें अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।