गोरखपुर: बढ़गहन में यज्ञशाला तोड़े जाने पर बवाल, ग्रामीणों का गोरखपुर-लखनऊ मार्ग जाम

गोरखपुर में बढ़गहन में यज्ञशाला तोड़े जाने पर बडा बवाल मच गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर: जनपद के गीडा क्षेत्र अंतर्गत बढ़गहन गांव में सात दिवसीय यज्ञ की तैयारियों के दौरान गिडा प्रशासन की सख्त कार्रवाई से माहौल गरमा गया। आज मंगलवार को प्रशासन और पुलिस फोर्स ने यज्ञशाला के कच्चे निर्माण को ध्वस्त कर झंडे-पताकाएं हटा दीं, जिससे नाराज ग्रामीणों ने गोरखपुर-लखनऊ मार्ग को जाम कर दिया और जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार घटना के वक्त यज्ञ के लिए हवन कुंड और मंडप निर्माण कार्य चल रहा था। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के प्रशासन ने धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया, जिसे वे अपनी आस्था पर हमला मानते हैं। गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क पर उतरकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और करीब एकब घंटे तक यातायात को पूरी तरह बाधित कर दिया।

"यह हमारी श्रद्धा का अपमान है"

स्थानीय निवासी उमेश यादव, रवि सिंह, अभिनन्दन त्रिपाठी, गुंजन पांडेय और महंत रामदास जी महाराज ने प्रशासन की कार्रवाई की तीखी आलोचना करते हुए कहा, “यज्ञ जैसे धार्मिक आयोजन को बाधित करना हमारी आस्था का अपमान है। प्रशासन ने जिस तरह से रातों-रात कार्य रोककर निर्माण तोड़ा, वह सरासर अन्याय है।”

प्रशासन की सफाई

वहीं, गिडा प्रशासन ने अपने पक्ष में कहा कि यज्ञशाला का निर्माण अवैध भूमि पर किया जा रहा था और इस पर पहले ही नोटिस दिया जा चुका था। अधिकारी ने बताया कि नियमानुसार कार्रवाई की गई है और किसी भी धार्मिक भावना को आहत करने का इरादा नहीं था।

तनाव के बाद सुलझा मामला

घटना की सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों से वार्ता की। कड़ी मशक्कत और आश्वासन के बाद जाम को हटवाया गया। हालांकि, ग्रामीणों में अब भी रोष बना हुआ है।

“यदि फिर ऐसा हुआ तो चुप नहीं बैठेंगे”

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि भविष्य में यदि प्रशासन ने इस तरह की कोई कार्रवाई की, तो आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा। फिलहाल, क्षेत्र में एहतियातन अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

यह घटना गिडा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है और लोग प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं, प्रशासन और ग्रामीणों के बीच तनातनी ने आगामी धार्मिक आयोजनों की दिशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।अब देखना यह है कि प्रशासन और ग्रामीणों के बीच संवाद से समाधान निकलता है या टकराव और गहराता है।

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