

गोरखपुर के छितौना गांव में स्वतंत्रता सेनानी राजमंगल मिश्र की 24वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामवासियों ने उनके योगदान को याद करते हुए उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
स्वतंत्रता सेनानी राजमंगल मिश्र की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
Gorakhpur: गोरखपुर के गोलाबाजार के छितौना गांव में रविवार को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कामरेड राजमंगल मिश्र की 24वीं पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गांववासियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने स्व. राजमंगल मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक योगदान को याद किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कॉमरेड ओमप्रकाश ने कहा कि राजमंगल मिश्र गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। उन्होंने चर्खे को अपना गुरु और स्वदेशी आंदोलन को हथियार बनाकर अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने बताया कि स्व. मिश्र ने अपने जीवनकाल में किसानों, मजदूरों और शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए अनेक आंदोलनों में हिस्सा लिया और सैकड़ों बार जेल गए। उनकी निष्ठा और त्याग आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कैलाश नाथ दूबे ने कहा, "छितौना गांव में जन्मे राजमंगल मिश्र ने 10 वर्षों तक ग्राम प्रधान के रूप में सेवा की। दोहरीघाट पुल के निर्माण के लिए उन्होंने 21 दिनों तक भूख हड़ताल की थी, जो उनके जनसेवा और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। वह जनता के बीच नायक थे और हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।"
कार्यक्रम की शुरुआत स्व. मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। संचालन राजेश कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर शैलेंद्र कुमार मिश्र, विजय पाण्डेय, अनोख मिश्र, शिवम मौर्य, रवि मौर्य, विनोद शुक्ला, शिवांश मिश्र, तृप्ति मिश्र और लाल चंद यादव सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।
सभा में उपस्थित लोगों ने स्व. मिश्र के आदर्शों को अपनाने और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। यह आयोजन न केवल उनकी स्मृति को जीवित रखने का प्रयास था, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके बलिदान और संघर्ष से प्रेरणा लेने का अवसर भी प्रदान किया। स्वतंत्रता सेनानी राजमंगल मिश्र की पुण्यतिथि पर आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा केवल एक स्मृति आयोजन नहीं, बल्कि संघर्ष, सेवा और सिद्धांतों के प्रति समर्पण का संदेश था।