

गोरखपुर पुलिस ने एसएसपी राज करन नय्यर के निर्देश पर 12 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ ‘ए’ ग्रेड हिस्ट्रीशीट खोली है। पुलिस की इस कार्रवाई से अपराधियों में हड़कंप मच गया है।
एसएसपी राज करन नैय्यर
Gorakhpur: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) गोरखपुर राज करन नय्यर के कड़े निर्देशों के बाद जिले की पुलिस ने अपराध की दुनिया के 12 बड़े चेहरों को निशाने पर लिया है। इन कुख्यात अपराधियों को दुराचारी घोषित करते हुए उनके खिलाफ 'ए' ग्रेड की हिस्ट्रीशीट खोली गई है। इन अपराधियों का आपराधिक इतिहास इतना लंबा और खतरनाक है कि सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। डकैती, हत्या का प्रयास, गैंगस्टर एक्ट से लेकर गोवध और शराब तस्करी तक, इनके कारनामों ने गोरखपुर की शांति को बार-बार चुनौती दी है। आइए, जानते हैं इन अपराधियों और उनकी काली करतूतों का पूरा लेखा-जोखा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गीडा थाना क्षेत्र के दो कुख्यात चेहरे, अभिषेक श्रीवास्तव उर्फ टिंकु और रामाशीष चौहान की हिस्ट्रीशीट ने पुलिस को भी चौंका दिया। अभिषेक पर डकैती (धारा 395, 397), गैंगस्टर एक्ट और हथियारों के अवैध कब्जे (3/25 आर्म्स एक्ट) जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। हाल ही में उसे गीड़ा में एक मामले में धारा 305 (आत्महत्या के लिए उकसाने) और 317(2) (बच्चों के खिलाफ अपराध) के तहत भी नामजद किया गया। वहीं, रामाशीष का रिकॉर्ड और भी लंबा है। डकैती, चोरी, और गैंगस्टर एक्ट के अलावा 2024 में तीन बार धारा 303(2) (चोरी और डकैती से जुड़े अपराध) के तहत मामले दर्ज हुए। इन दोनों की हरकतों ने जुडियान गांव को अपराध का गढ़ बना रखा था।
चौरी चौरा का 'अमन' भी शामिल
अमन सोनकर ने चौरी चौरा क्षेत्र में अवैध शराब तस्करी से लेकर हिंसक अपराधों तक का जलवा कायम किया। सात मामलों में उसका नाम है, जिसमें हत्या का प्रयास (धारा 308), घर में घुसकर मारपीट (धारा 452), और एससी/एसटी एक्ट के तहत गंभीर आरोप शामिल हैं। 2024 में ही अमन के खिलाफ तीन नए मामले दर्ज हुए, जिसमें उसने हिंसा और धमकी का खुला खेल खेला।
हरपुर बुदहट के अपराधी
हरिराम पासवान और मनोज यादव ने हरपुर बुदहट को अपने अपराधों का अड्डा बनाया। हरिराम पर गैंगस्टर एक्ट, गोवध निवारण अधिनियम और अवैध शराब तस्करी के मामले दर्ज हैं। वहीं, मनोज यादव ने धोखाधड़ी (धारा 420) और आपराधिक साजिश के पांच मामलों में पुलिस को चकमा देने की कोशिश की। 2024 में मनोज के खिलाफ गीडा थाने में एक के बाद एक चार मामले दर्ज हुए, जिसमें उसने धमकी और विश्वासघात का खेल दिखाया।
बेलघाट का 'सुनिल' है अपराध का बादशाह
सुनिल सिंह का नाम बेलघाट थाने की फाइलों में बार-बार उभरता है। 2008 से 2017 तक उसके खिलाफ नौ मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या का प्रयास (धारा 307), गुंडा अधिनियम और सामूहिक हिंसा (धारा 147, 148, 149) जैसे संगीन अपराध शामिल हैं। सुनिल की हरकतों ने बघाड़ गांव को डर के साये में जीने को मजबूर कर दिया। शाहपुर, रामगढ़ताल और खोराबार के 'बड़े खिलाड़ी'जयप्रकाश उपाध्याय (शाहपुर) ने जालसाजी और धोखाधड़ी (धारा 419, 420, 467) के जरिए लोगों को ठगा।
जितेंद्र सोनकर (रामगढ़ताल) ने चोरी, डकैती और हत्या के प्रयास जैसे 10 मामलों में अपनी 'पहचान' बनाई। चंद्रेश पासवान उर्फ गोली (खोराबार) का नाम तो जैसे अपराध की किताब का कवर पेज है। हत्या का प्रयास, चोरी और पॉक्सो एक्ट तक, उसके 11 मामलों ने खोराबार को हिलाकर रख दिया।
इसके अलावा, रामलखन (रामगढ़ताल) भी गैंगस्टर एक्ट, गोवध और हत्या के प्रयास जैसे मामलों में लिप्त है। पुलिस की सख्ती, अपराधियों में खौफवरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर इन 12 अपराधियों की 'ए' ग्रेड हिस्ट्रीशीट खोलकर पुलिस ने साफ संदेश दिया है कि अपराध की दुनिया में अब कोई बख्शा नहीं जाएगा। इनके आपराधिक रिकॉर्ड की निगरानी बढ़ा दी गई है और पुलिस अब इनके हर कदम पर नजर रख रही है।
गोरखपुर पुलिस की इस कार्रवाई से अपराधियों में हड़कंप मचा है और आम जनता में सुरक्षा की उम्मीद जगी है। क्या ये कार्रवाई गोरखपुर को अपराधमुक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल पुलिस की इस जोरदार कार्रवाई ने अपराध की दुनिया को हिलाकर रख दिया है।