

प्रतापगढ़ जिले में पशुपालन विभाग द्वारा जारी साइलेज सप्लाई टेंडर में बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-इंटरनेट)
प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पशुपालन विभाग द्वारा जारी साइलेज सप्लाई टेंडर में बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस पूरे प्रकरण से जिले में हड़कंप मच गया है और यहां तक कि शासन-प्रशासन को भी इसकी गंभीरता से जांच करने के निर्देश जारी करने पड़े हैं।
क्या है पूरा मामला
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मामला 24 मार्च 2025 को जारी एक महत्वपूर्ण टेंडर से जुड़ा है, जिसमें जिले की गौशालाओं के लिए एक लाख छह हजार क्विंटल साइलेज की आपूर्ति का प्रस्ताव रखा गया था। इस टेंडर की अनुमानित लागत करीब 7 करोड़ 42 लाख रुपये तय की गई थी। टेंडर में कुल चार कंपनियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से तीन कंपनियां तकनीकी पात्रता परीक्षण में सफल पाई गईं।
इस कंपनी के नाम पर है आरोप
इसी प्रक्रिया के दौरान शौर्य ट्रेडिंग कंपनी की ओर से जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा गया। जिसमें राकेश इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी पर गंभीर आरोप लगाए गए। आरोप है कि इस कंपनी ने टेंडर में भाग लेने के लिए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया है। शिकायतकर्ता के अनुसार यह अनुभव प्रमाण पत्र खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) लालगंज द्वारा जारी किया गया था, जो प्रारंभिक जांच में संदिग्ध प्रतीत होता है।
शिकायत में यह भी बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान जिले की सभी गौशालाओं में भूसा और साइलेज की आपूर्ति का कार्य शिव इंटरप्राइजेज को सौंपा गया था। ऐसे में राकेश इंटरप्राइजेज को अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया जाना बेहद संदिग्ध है और यह संदेह की स्थिति पैदा करता है कि यह दस्तावेज फर्जी है या नहीं।
प्रमाण पत्र पर अधिकारी के हस्ताक्षर
बीडीओ लालगंज द्वारा जारी प्रमाण पत्र पर पहाड़पुर ग्राम पंचायत के एक अधिकारी के हस्ताक्षर भी पाए गए हैं, जो एक ऐसा तथ्य बन गया है जिसने जांच को और गहराई दे दी है। इस पूरे मामले में सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या पंचायत अधिकारियों के हस्ताक्षर बिना उनकी जानकारी के किसी दस्तावेज पर किए गए थे?
जिलाधिकारी को जांच के निर्देश
जब इस गंभीर मामले की जानकारी शासन तक पहुंची तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव ने तत्काल संज्ञान लेते हुए प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को जांच के निर्देश दिए। डीएम शिव सहाय अवस्थी ने मामले की तह तक जाने के लिए जांच शुरू कर दी है और संबंधित दस्तावेजों की गहनता से जांच की जा रही है।
टेंडर पाने की साजिश
इस टेंडर चयन प्रक्रिया में कई उच्चस्तरीय अधिकारी शामिल थे। चयन समिति में मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, वरिष्ठ कोषाधिकारी, जिला कृषि अधिकारी और उप जिला मजिस्ट्रेट सदर जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों को गुमराह करके और झूठे दस्तावेजों का इस्तेमाल करके टेंडर पाने की साजिश रची गई।
प्रशासनिक व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना ने जिले की टेंडर प्रणाली और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर शिकायत सही पाई जाती है तो यह सिर्फ एक फर्म पर नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था पर गंभीर आघात माना जाएगा। सरकार की निगरानी में हो रही इस जांच से यह साफ हो जाएगा कि यह सिर्फ फर्जी दस्तावेजों का मामला है या इसके पीछे किसी बड़े नेटवर्क की साजिश छिपी है।