बुलंदशहर के NH-91 गैंगरेप मामले में पॉक्सो कोर्ट ने 9 साल बाद बड़ा फैसला सुनाते हुए 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी। अदालत की सख्त टिप्पणी और भारी जुर्माना इस जघन्य अपराध के खिलाफ मजबूत संदेश है।

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
Bulandshahr: बुलंदशहर के चर्चित नेशनल हाईवे-91 गैंगरेप मामले में पॉक्सो कोर्ट ने बड़ा और सख्त फैसला सुनाया है। वर्ष 2016 में परिवार को बंधक बनाकर मां और नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले में अदालत ने पांच आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। यह फैसला घटना के 9 साल 4 महीने और 22 दिन बाद आया है।
फैसला सुनाते हुए एडीजे/पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश ओम प्रकाश वर्मा ने कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों को सभ्य समाज से दूर रखा जाना चाहिए और जब तक वे जीवित रहें, उन्हें जेल में ही रखा जाए। अदालत ने इसे मानवता को झकझोर देने वाला अपराध करार दिया।
उम्रकैद के साथ भारी जुर्माना
कोर्ट ने सभी पांच दोषियों पर 1.81-1.81 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आदेश के अनुसार जुर्माने की आधी राशि पीड़ित मां और बेटी को दी जाएगी। सजा सुनाए जाने के बाद एक दोषी ने खुद को निर्दोष बताते हुए फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही।
2016 की वह भयावह रात
घटना 28 जुलाई 2016 की रात की है। नोएडा से शाहजहांपुर जा रहा एक परिवार बुलंदशहर देहात कोतवाली क्षेत्र में दोस्तपुर फ्लाईओवर के पास रुका, जहां बदमाशों ने उन्हें लूट के इरादे से घेर लिया। परिवार के सदस्यों को बंधक बनाया गया। मां और नाबालिग बेटी के साथ गंभीर अपराध किया गया। यह घटना जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर हुई थी।
पुलिस मदद में हुई भारी चूक
पीड़ित परिवार ने डायल-100 पर कई बार कॉल की, लेकिन समय पर मदद नहीं पहुंची। बाद में पीड़िता के पिता ने अपने परिचित पुलिसकर्मी को फोन किया, तब पुलिस मौके पर पहुंची। आरोप है कि शुरुआती स्तर पर मामले को दबाने का प्रयास भी हुआ और प्राथमिकी दर्ज होने में करीब 12 घंटे का विलंब हुआ।
हाईकोर्ट के आदेश पर CBI जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए CBI जांच के आदेश दिए। 19 अगस्त 2016 से CBI ने जांच शुरू की और घटनास्थल का सीन रीक्रिएशन भी कराया गया। जांच में कई अहम साक्ष्य सामने आए।
पुलिस अधिकारियों पर भी गिरी गाज
मामले में लापरवाही सामने आने पर तत्कालीन एसएसपी, सीओ समेत 19 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। इससे यह संदेश गया कि ऐसे मामलों में जिम्मेदारी तय की जाएगी।
11 आरोपी, 5 को उम्रकैद
इस केस में कुल 11 आरोपी बनाए गए थे। ट्रायल के दौरान एक आरोपी की बीमारी से मौत हो गई, दो आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए, तीन को बरी किया गया और पांच को अब उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।