फतेहपुर जिले के असोथर विकास खंड की चर्चित सरकंडी ग्राम पंचायत से जुड़ा मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। विकास कार्यों में कथित घोटाले के आरोप में जेल भेजी गईं ग्राम प्रधान पुष्पा द्विवेदी को आखिरकार न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई है।

सरकंडी ग्राम प्रधान को जेल के बाद मिली जमानत
Fatehpur: फतेहपुर जिले के असोथर विकास खंड की चर्चित सरकंडी ग्राम पंचायत से जुड़ा मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। विकास कार्यों में कथित घोटाले के आरोप में जेल भेजी गईं ग्राम प्रधान पुष्पा द्विवेदी को आखिरकार न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई है। जनपद न्यायाधीश ने प्रधान की जमानत अर्जी स्वीकार करते हुए ₹50-50 हजार के दो जमानती बेल बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश दिया है।
जमानत आदेश के बाद देर शाम तक ग्राम प्रधान के जेल से बाहर आने की संभावना जताई जा रही है। जेल प्रशासन द्वारा औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी किए जाने के बाद रिहाई होगी। जमानत मिलने की खबर फैलते ही प्रधान के समर्थकों में राहत और संतोष का माहौल देखा गया, वहीं विरोधी खेमे में इस फैसले को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं।
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मामले की सुनवाई के दौरान जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गया प्रसाद दुबे ने ग्राम प्रधान की ओर से मजबूती से पक्ष रखा। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई और जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए। अधिवक्ता पक्ष का कहना था कि मामले में जल्दबाजी और एकतरफा कार्रवाई की गई, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ा।
इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में अधिवक्ता अदालत परिसर में मौजूद रहे। दिनभर चली सुनवाई और बहस के चलते कोर्ट परिसर में गहमा-गहमी का माहौल बना रहा। फैसले के बाद अधिवक्ताओं और पक्षकारों के बीच चर्चाओं का दौर चलता रहा।
सरकंडी ग्राम पंचायत का यह मामला शुरू से ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। ग्राम प्रधान की गिरफ्तारी और अब जमानत मिलने के बाद जिले की राजनीति में भूचाल आ गया है। समर्थक इसे न्याय की जीत बता रहे हैं, जबकि विरोधी प्रशासनिक और जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
हालांकि ग्राम प्रधान को जमानत मिल गई है, लेकिन मामला अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। न्यायालय में आगे की सुनवाई और जांच की दिशा पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। प्रशासन और जांच एजेंसियों के लिए यह मामला अब और भी संवेदनशील हो गया है।
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इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली, पंचायत स्तर पर विकास कार्यों की निगरानी और राजनीतिक दबाव जैसे मुद्दों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि सरकंडी प्रकरण में न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या सच्चाई सामने आ पाती है।