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DN Exclusive: नारायणी नदी के तटबंध पर घटिया निर्माण की पोल खोल, बाढ़ ग्रस्त गांवों को डुबाने की तैयारी

नारायणी नदी के तटबंध पर घटिया निर्माण सामग्री से बन रहा सीसी ब्लॉक की पोल खोलने वाली देखिये डाइनामाइट न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट
Post Published By: Rohit Goyal
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DN Exclusive: नारायणी नदी के तटबंध पर घटिया निर्माण की पोल खोल, बाढ़ ग्रस्त गांवों को डुबाने की तैयारी

महराजगंज: जनपद के निचलौल क्षेत्र में नेपाल से होकर गुजरने वाली नारायणी नदी हर साल बरसात के मौसम में कहर बरपाती है। सैकड़ों गांव इस नदी के तट पर बसे हैं, जो हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में तटबंधों की मजबूती लोगों की सुरक्षा की पहली जरूरत है, लेकिन हालात ये हैं कि जिम्मेदार विभाग और ठेकेदार लापरवाही की हदें पार कर चुके हैं।

भेड़िहारि में नारायणी नदी के तटबंध पर बाढ़ से सुरक्षा के लिए बनाए जा रहे सीसी ब्लॉक निर्माण में भारी अनियमितता सामने आई है। डाइनामाइट न्यूज़ की पड़ताल में यह खुलासा हुआ है कि ब्लॉक निर्माण में नियमों को ताक पर रखकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है। नियमों के मुताबिक जहां मोरंग बालू और छोटी गिट्टी का इस्तेमाल होना चाहिए था, वहां सिल्ट युक्त बालू और सड़क निर्माण में उपयोग होने वाली धूल वाली बड़ी गिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है।

जब मौके पर डाइनामाइट न्यूज़ की टीम पहुंची, तो पहले से बने सीसी ब्लॉक हाथों से पकड़ने पर ही टूटने लगे। यह दर्शाता है कि पानी का मामूली दबाव भी इन सीसी ब्लॉकों को ध्वस्त कर सकता है। ऐसे में जब नेपाल द्वारा नारायणी नदी में पानी छोड़ा जाएगा और जलस्तर बढ़ेगा, तो इन कमजोर ब्लॉकों का टूटना तय है, जिससे नारायणी नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब संबंधित जेई को कई बार फोन किया गया तो साहब का फ़ोन ही नही उठा। यही नही, सिंचाई विभाग के कार्यालय में जाकर जब हमारी टीम ने जानकारी मांगी तो सब कतराते नजर आए।

सिल्ट युक्त बालू और सड़क निर्माण में उपयोग

मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने भी ब्लॉक निर्माण में अनियमितता को स्वीकार किया है कि निर्माण में हो रही लापरवाही ठेकेदार और अधिकारियों की तरफ़ से की जा रही है। उनका कहना था कि मजदूरों को स्पष्ट निर्देश है कि निर्माण कार्य में मोरंग बालू का ही प्रयोग किया जाए, लेकिन संबंधित जिम्मेदार मनमानी पर उतारू हैं और जबरन सिल्ट वाले पाख बालू का इस्तेमाल कर सीसी ब्लॉकों का निर्माण करवाया जा रहा है।

हर साल नेपाल द्वारा नारायणी नदी में छोड़े गए पानी से यह क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। ऐसे में इस प्रकार की लापरवाही न केवल जनधन की हानि का कारण बन सकता है, बल्कि प्रशासन और सिंचाई विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है।

अब सवाल ये उठता है कि क्या संबंधित विभाग इस लापरवाही पर संज्ञान लेगा? या फिर एक बार फिर बाढ़ आने के बाद राहत कार्य और मुआवजे की रस्म अदायगी ही होगी?

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