DN Exclusive: उन्नाव रेप घटना से लेकर सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले तक… जानिए अपराध का पूरा किस्सा

उन्नाव रेप केस एक नाबालिग के साथ हुए जघन्य अपराध से शुरू हुआ, जिसमें सत्ता और सिस्टम की चुप्पी भी उजागर हुई। इंसाफ के लिए पीड़िता को सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष करना पड़ा। यह मामला न्याय व्यवस्था, महिला सुरक्षा और कानून की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल बन गया। जानिए इस घटना की पूरी कहानी

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 29 December 2025, 2:48 PM IST

New Delhi: उन्नाव रेप केस सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं है। यह उस सिस्टम की कहानी है, जहां एक नाबालिग लड़की को अपने साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए हर दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। यह कहानी है उस पीड़ा की, जो थानों की चौखट पर अनसुनी रही, और उस हिम्मत की, जिसने आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक का सफर तय किया।

वारदात की शुरुआत

4 जून 2017: उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की काम की तलाश में तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के घर पहुंची। उसे उम्मीद थी कि शायद यहां उसे रोज़गार मिल जाएगा। लेकिन आरोप है कि उसी घर में उसकी ज़िंदगी का सबसे भयावह अध्याय लिखा गया। पीड़िता का कहना है कि उसके साथ जबरन घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया। घटना के बाद जब वह टूटे हुए भरोसे और डरे हुए मन के साथ पुलिस के पास पहुंची, तो उसे इंसाफ मिलना तो दूर बल्कि  उसकी बात तक अनसुनी कर दी गई।

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जब सिस्टम ने मुंह मोड़ लिया

सूत्रों के मुताबिक  पीड़िता ने कई बार थाने और अधिकारियों के चक्कर लगाए। हर बार उम्मीद थी कि इस बार शायद सुनवाई होगी, लेकिन हर बार उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। आरोप है कि आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर की राजनीतिक ताकत के आगे प्रशासन ने आंखें मूंद लीं थी। एक नाबालिग लड़की की चीखें सत्ता के शोर में दबा दी गईं।

आत्मदाह की कोशिश और देश का जागना

इतना ही नहीं इतना कुछ हो जाने के बाद  न्याय न मिलने से हताश होकर पीड़िता ने वो कदम उठाया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के बाहर उसने आत्मदाह की कोशिश की। यह सिर्फ एक लड़की की हताशा नहीं थी, बल्कि सिस्टम के खिलाफ उसकी आख़िरी चीख थी। इसके बाद यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया और देशभर में आक्रोश फैल गया।

CBI जांच और गिरफ्तारी

जनदबाव के बाद 12 अप्रैल 2018 को मामला CBI को सौंपा गया। 13 अप्रैल 2018 को CBI ने कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार किया। इसके बाद भाजपा ने आरोपी सेंगर को पार्टी से निकाल दिया । पहली बार लगा कि शायद इंसाफ की राह खुल रही है।

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पीड़िता के पिता की संदिग्ध मौत

लेकिन संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ। इसी दौरान पीड़िता के पिता को एक पुराने मामले में जेल भेजा गया, जहां उनकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। यह सदमा परिवार के लिए असहनीय था। बाद में इस मामले में भी कुलदीप सेंगर को दोषी ठहराया गया, लेकिन पिता की मौत का दर्द कभी नहीं भर सका।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

16 दिसंबर 2019 को दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को नाबालिग से रेप और अपहरण के मामले में दोषी करार दिया। अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। यह फैसला पीड़िता के लिए एक उम्मीद की किरण था, जैसे लंबी अंधेरी सुरंग में कहीं रोशनी दिखी हो।

हाई कोर्ट से राहत, सुप्रीम कोर्ट से झटका

23 दिसंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को सस्पेंड कर जमानत दे दी। यह खबर पीड़िता के लिए फिर से डर और असुरक्षा लेकर आई। इस फैसले के खिलाफ CBI ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि यह एक नाबालिग के साथ हुआ भयावह बलात्कार का मामला है, जिसमें जल्दबाजी नहीं की जा सकती। CBI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि सजा निलंबन से समाज में गलत संदेश जाएगा।

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कहां तक पहुंचा मामला

आज   सुप्रीम कोर्ट ने CBI की याचिका पर सुनवाई करते हुए कुलदीप सेंगर को नोटिस जारी किया है और साफ किया है कि हाई कोर्ट का आदेश फिलहाल प्रभावी नहीं रहेगा। यानी सेंगर अभी जेल में ही रहेगा। आगे की विस्तृत सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी।

पीड़िता की उम्मीद

पीड़िता और उसकी मां आज भी कहती हैं कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। वे बिना डर के अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखना चाहती हैं। उन्नाव रेप केस आज देश के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।  क्या न्याय सच में सबके लिए बराबर है?  क्या ताकतवर लोग कानून से ऊपर हैं?  इन सवालों का जवाब अब सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले में छिपा है। ऐसे में अब सबसे बड़ा इंतजार यही है कि आखिर पीड़िता को इंसाफ कब तक मिल पाएगा।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 29 December 2025, 2:48 PM IST